पहले अधिवेशन में बोले थे अटल जी कि ”मैं ये भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा”
भाजपा के स्थापना दिवस पर मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष द्वारा लिखा गया विशेष आलेख
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अपने वैचारिक अधिष्ठान के स्वाभिमान हेतु जनता पार्टी से अलग होकर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी, भारत रत्न लाल कृष्ण आडवाणी, कुशाभाऊ ठाकरे, राजमाता विजयाराजे सिंधिया सहित जनसंघ के अन्य नेताओं ने 6 अप्रैल, 1980 को पंच निष्ठाओं के आधार पर भारतीय जनता पार्टी के नाम से नए राजनीतिक दल की स्थापना की। शून्य से शिखर तक की भारतीय जनता पार्टी की इस 44 वर्षों की यात्रा में कई अच्छे-बुरे पड़ाव आए हैं, लेकिन अपनी ध्येय निष्ठा की वजह से हमारा संगठन अपने मूल विचार पर आज भी चट्टान की भांति अडिग है। भाजपा की इस यात्रा में पंच निष्ठा कायम रही है और लोकतंत्र का उजाला अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रहा है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी संगठन के पहले अध्यक्ष बने एवं 1980 में भारतीय जनता पार्टी का प्रथम अधिवेशन मुंबई में आयोजित किया गया। अपने अध्यक्षीय भाषण में अटल जी ने जो भविष्यवाणी की थी, वो आज सत्य सिद्ध हो चुकी है। उन्होंने कहा था- ”मैं ये भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा”। विचार की यह यात्रा भाजपा को देश के अन्य राजनीतिक दलों से अलग खड़ा करती है। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई का अध्यक्ष होने के नाते मैं यह गंभीरता के साथ कह सकता हूं कि वर्तमान राजनीति में संभवत: भाजपा ही एक मात्र राजनीतिक पार्टी है जो व्यक्ति या परिवार पर आधारित ना होकर अपनी विचारधारा पर आधारित है। हमारी इसी वैचारिक स्पष्टता एवं अपने कार्यों के प्रति सक्रियता से ऐसे अनेक विषयों का समाधान हुआ है, जिनकी कल्पना करना भी असंभव था।
इस तरह हुआ प्रादुर्भाव
भारतीय जनता पार्टी का इतिहास भारतीय जनसंघ से जुड़ा है। जनसंघ की नींव स्व. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने रखी थी। स्वतंत्रता के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सम्मिलित रहे थे, लेकिन नेहरू-लियाकत समझौते का विरोध एवं पंडित नेहरू की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के विरोध में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 19 अप्रैल 1950 को केंद्रीय उद्योग मंत्री के पद से त्यागपत्र देकर कांग्रेस के विकल्प के रूप में एक नया राजनीतिक दल खड़ा करने का निर्णय किया। 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में जनसंघ की स्थापना हुई। जिसके संस्थापक के रूप में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रोफेसर बलराज मधोक, पंडित दीनदयाल उपाध्याय प्रमुख थे। जनसंघ का चुनाव चिन्ह दीपक तथा झंडा भगवा रंग का रखा गया। देश में सामान नागरिक सहिता, गौहत्या पर प्रतिबंध एवं जम्मू कश्मीर से धारा 370 को समाप्त करना जनसंघ की राजनीति के प्रमुख विषय थे। वर्ष 1975 तक जनसंघ इन्ही मुद्दों को लेकर अपनी राजनीति कर रहा था। इस बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल की घोषणा कर दी गई। इस आपातकाल के विरोध में सयुंक्त मोर्चा खड़ा करने के उद्देश्य से तत्कालीन जनसंघ के नेतृत्वकर्ताओं ने 1977 में जनसंघ का विलय जनता पार्टी में किया था। इसके बाद 6 अप्रेल 1980 को भारतीय जनता पार्टी अस्तित्व में आई।
2 सीट से 400 सीट तक हर ओर से समर्थन
भाजपा का अभियान दो सीटों पर विजय से शुरू हुआ। अब यह संसदीय सफर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 400 का जादुई आंकड़ा छूने के नजदीक है। देश के हर कोने में भाजपा की सशक्त उपस्थिति है। भाजपा के बिना देश में कोई राजनीतिक प्रक्रिया सम्भव नहीं है। पूर्वोत्तर के जिन राज्यों में भाजपा का सत्ता में आना कुछ समय पहले तक मृग मरीचिका माना जाता था, वहां की जनता ने भी भाजपा को अपना आशीर्वाद दिया है। असम, त्रिपुरा, मणिपुर सहित अन्य राज्यों में भी भाजपा की सरकारें बनीं। विचार निष्ठा का परिणाम है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की हर छोटी से बड़ी पंचायत में भाजपा की प्रभावी उपस्थिति दिनोंदिन बढ़ रही है। जिन सपनों को लेकर जनसंघ से लेकर भाजपा के कार्यकर्ता गांव-गांव गए, वे साकार हुए हैं। इस दीर्घकालिक प्रक्रिया में पार्टी ने एक से बढ़कर एक पराक्रमी और परिश्रमी नेतृत्व देखा। भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक भाजपा ने देश की दलगत राजनीति में ऐसे प्रेरणा के पुंज दिए हैं, जिनकी आभा से राजनीतिक जगत जगमगा रहा है।
नेतृत्व की संकल्प शक्ति ने पूरा किया राम मंदिर का सपना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रूप में हमारे नेतृत्व की संकल्प शक्ति की वजह से ही लगभग पांच सौ वर्षों की प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर के निर्माण का सपना वास्तविकता बना है। हमारे संस्थापकों ने एवं भाजपा के असंख्य कार्यकर्ताओं ने श्री रामलला को अपने मंदिर में विराजमान देखने के लिए अपनी चुनी हुईं सरकारें भी न्योछावर कर दीं, यह विचारधारा पर अडिग रहने का एक उदाहरण मात्र है। हमारे पितृ पुरुषों का संकल्प एवं एक देश में “दो विधान दो प्रधान दो निशान नहीं चलेंगे की पूर्ति स्वरूप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा लिया गया अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐतिहासिक निर्णय हमारी ध्येय पूर्ति की यात्रा का और एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार एवं हमारे पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं देश के वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह के कार्यकाल में भाजपा ने अटल जी की सरकार तथा तत्कालीन संगठन की नीतियों को दिशा देने के प्रयास के साथ ही अपनी विचारधारा अनुरूप “राष्ट्र सर्वोपरि मानकर अनेकानेक ऐतिहासिक निर्णय किए हैं, जो हमारी विचारों की स्पष्टता को परिलक्षित करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृढ इच्छाशक्ति से जो सपना हमारे संस्थापकों ने भारत को विश्व गुरु बनाने का देखा था, उस ओर हम कर्तव्य पारायणता के साथ अग्रसर हैं।
संकल्प के साथ जारी ध्येय यात्रा
हमारी ध्येय यात्रा में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली पूर्ण बहुमत की सरकार आते ही तीन तलाक कानून, नागरिकता संशोधन कानून, आपराधिक न्यायिक कानूनों में बदलाव हो चुके हैं। इसके साथ ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय पर आधारित गरीब- कल्याण की योजनाओं के द्वारा करोड़ों गरीब लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम भी हुआ है। हमारी सरकारें सुशासन के प्रति समर्पित रहती हैं क्योंकि यही लोकतंत्र की आवश्यकता है। समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति के विकास की सिर्फ बात ही नहीं की जाती, बल्कि उसे चरितार्थ किया जाता है।
असंभव को संभव करने में सफलता
भारत ही नहीं पूरा विश्व देख रहा है कि एक राजनीतिक दल और उसका नेतृत्व किस प्रकार अपने उन संकल्पों को पूरा करने में सफल सिद्ध हुआ है, जिन्हें पूरा करना कभी असंभव सा लगता था। अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ विश्व में एक बड़ी ताकत बनकर उभरे भारत ने अपने पुराने स्वाभिमान और आत्म गौरव को भी वापस हासिल किया है। राष्ट्रीय संकट में जनकल्याण की कसौटी पर भी भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में भाजपा के नेतृत्व ने एक अनूठा उदाहरण विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया है। कोरोना संकट में दुनिया के अनेक देशों ने जहां अपने नागरिकों को अपने हाल पर छोड़ दिया, वहीं भारत में सरकार ने अपने हर नागरिक के जीवन को अमूल्य मानते हुए उनके लिए अनाज के साथ दवाओं और अन्य वस्तुओं को उपलब्ध कराया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वदेशी वैक्सीन के आविष्कार में प्रेरक भूमिका तो निभाई ही, हर नागरिक के लिए उसे मुफ्त उपलब्ध कराने हेतु विश्व का सबसे बड़ा वैक्सिनेशन अभियान चला कर दुनिया से अपने सामथ्र्य का लोहा भी मनवा लिया। अब ”सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” ही भाजपा का मंत्र बन गया है।
भारत-2047 नया दिशा सूत्र
भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनने का गौरव मिला है। अपनी 44 वर्षों की इस यात्रा को पूरा करके अब 45 वे वर्ष में प्रवेश कर रहे दुनिया के इस सबसे बड़े राजनीतिक दल ने चार दशक पूर्व जो सपने देखे थे, वे तो साकार हुए ही हैं, स्वाधीनता के अमृत वर्ष में मोदी जी की अगुवाई में भारत 2047 के लिए अपना दिशा-सूत्र बना चुका है। इस दिशा सूत्र को पूरा करने का दारोमदार भी भारतीय जनता पार्टी के कोटि-कोटि कार्यकर्ताओं के कंधों पर है। निश्चित ही भाजपा अपनी संकल्प शक्ति, निष्ठा और नियति से इसे पूरा करेगी तथा देश के भविष्य-निर्माण की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाते हुए संकल्प-सिद्धि की ओर अग्रसर रहेगी।
लेखक परिचय:
नाम: विष्णुदत्त शर्मा
संप्रति: लेखक मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष एवं खजुराहो लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं।