-हास्य, वीर रस, श्रंगार रस के कवियों ने निराला रंग बिहार में बांधा समां
भिण्ड। भिण्ड के ऐतिहासिक व्यापार मेले में सोमवार शाम के समय अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन नगर पालिका के द्वारा किया गया। जिसमें दूर दराज से आए हुए कवियों ने श्रोताओं को उनका कविता पाठ सुनने पर मजबूर कर दिया। इस बार आचार संहिता लागू होने के कारण कवि सम्मेलन शाम के समय ही शुुरु कर दिया गया था और जल्द ही उसका समापन भी हो गया था।
कवि सम्मेलन में हास्य रस के दो कवियों को कविता पाठ के आमंत्रित किया गया था। बनारस से आए हास्य कवि डॉ अनिल चौबे और कानपुर से आए हास्य कवि हेमंत पांडेय ने समसामयिक घटनाओं पर जमकर व्यंग्य कसे। वहीं हेमंत पांडेय के व्यंग्य नेताजी दिखा रहे हैं अच्छे सीन, बजा रहे मिलके बीन, जीत गए तो बल्ले-बल्ले, हार गए तो क्वारंटीन को सुनकर श्रोताओं ने खूब ठहाके लगाए।
उन्नाव से आए श्रंगार रस के कवि स्वयं श्रीवास्तव ने काव्य पाठ करते हुए कहा कि मुश्किल थी संभलना ही पड़ा घर के वास्ते, फिर घर से निकलना ही पड़ा घर के वास्ते। मजबूरियों का नाम हमने शौक रख दिया, हर शौक को बदलना ही पड़ा घर के वास्ते। जब ये पंक्तियां पढ़ी गईं तो श्रोताओं के द्वारा इसे खूब सराहा गया है। बाराबंकी से आए कवि प्रियांशू गजेन्द्र ने कहा कि पांव बेचकर सफर खरीदे, सफर बेचकर राहें। जब मैं खुद को बेच चुका तो सबकी पड़ी निगाहें।
इसके साथ ही अन्य कवियों के द्वारा भी उपस्थित श्रोताओं को खूब खुदगुदाया गया है। तथा वीर रस के कवि शशिकांत यादव के द्वारा ओजपूर्ण वाणी में कविता पाठ किया गया। कवि सम्मेलन का संचालन कवि शशिकांत यादव के द्वारा किया गया। इस अवसर पर नगर पालिका सीएमओ यशवंत वर्मा, कार्यालय अधीक्षक एवं मेला सचिव राजेन्द्र श्रीवास्तव सहित नपा के कई कर्मचारी मौजूद रहे।