-विशेष नशामुक्ति अभियान के अंतर्गत केन्द्रीय जेल में विधिक साक्षरता शिविर आयोजित
ग्वालियर। जेल पाप भोगने का स्थल न होकर अपराध के प्रायश्चित किए जाने का स्थान है। कानून की नजर में कोई भी व्यक्ति जन्मजात अपराधी नहीं होता। समय और परिस्थितियों के अलावा क्रोध, संगत,नशा,आवेग आदि भी अपराध के कारक हो सकते हैं। नशा अपराध का प्रमुख कारण है और नशे से व्यक्ति के स्वास्थ्य का क्षय तो होता ही है, व्यक्ति में अपराध करने की प्रवृत्ति भी बढ़ती है। यह बात जिला न्यायाधीश एवं विधिक प्राधिकरण सचिव आशीष दवंडे ने केन्द्रीय जेल में लगे शिविर में दी।
विशेष नशामुक्ति अभियान अंतर्गत नालसा (नशा पीडि़तों को विधिक सेवाएं एवं नशा उन्मूलन के लिए विधिक सेवाएं) योजना 2015 के अंतर्गत मंगलवार को केन्द्रीय जेल ग्वालियर में विधिक साक्षरता शिविर आयोजित हुआ। शिविर में जिला न्यायाधीश/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आशीष दवंडे मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे।
संकल्प से मिल सकती है मुक्ति
आशीष दवंडे ने कहा कि बंदी दृढ़ इच्छाशक्ति बनाए रखते हुए अपराध का प्रायश्चित कर सकते हैं। नशा से दूरी बनाने का संकल्प लेकर जेल से बाहर जाकर समाज की मुख्य धारा में शामिल होकर अच्छे नागरिक बन सकते हैं। दंड प्रक्रिया संहिता में उपबंधित प्लीबार्गेनिंग 7 वर्ष से कम सजा से दंडनीय मामलों आपवादिक प्रकरणों के अलावा में अपराध का प्रायश्चित किए जाने का एक अच्छा विकल्प है। जिसके माध्यम से अपराधी की सजा को कम किया जा सकता है। हर बंदी को विचारण के दौरान अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता के माध्यम से रखे जाने का अधिकार होता है। आयोजन के दौरान जिला विधिक सहायता अधिकारी दीपक शर्मा ने विचाराधीन बंदियों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए निर्देशों की जानकारी के साथ साथ बंदियों को उपलब्ध निशुल्क एवं सक्षम विधिक सहायता के बारे में अवगत कराया। इस दौरान केन्द्रीय जेल अधीक्षक विदित सिरवैया, सहायक जेल अधीक्षक प्रवीण त्रिपाठी, विपिन दंडोतिया, नीरज यादव, सचिन प्रजापति, देव कृष्ण सिकरवार सहित विचाराधीन बंदी उपस्थित रहे।