पांच प्रतिशत घुसपैठियों को बांटने के लिए नहीं है हमारी संपत्ति: जितेन्द्रानंद

-अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्रानंद सरस्वती ने किया आदर्श गोशाला भ्रमण के बाद की पत्रकारों से चर्चा
-सेम पित्रोदा के बयान को बताया कुत्सित राजनीति

ग्वालियर। कुत्सित राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए सेम पित्रोदा ने कहा है कि पैतृक संपत्ति का 45 प्रतिशत हिस्सा ही संतान को मिलेगा। हमारी संपत्ति देश के पांच प्रतिशत घुसपैठियों को बांटने के लिए नहीं है। धर्म के आधार पर कांग्रेस और इसके इंडी गठबंधन के दलों ने जिस पिच पर खेलने का प्रयास किया है, वह गलत है। कांग्रेस कहती है कि भारत के मंदिरों में 76 हजार करोड़ रुपए का सोना है।

कांग्रेस प्रतिनिधि कहते हैं कि इस सोने को गिरवी रखकर सरकार चलाएंगेे। मंदिरों के सोने को गिरवी रखा जा सकता है लेकिन वक्फ बोर्ड के पास जो 45 हजार वर्ग किलेामीटर जमीन है, इस जमीन लेने की बात नहीं कहते। मंदिरों का सोना लेने की बात कह सकते हैं लेकिन वक्फ बोर्ड की जमीन नहीं ले सकते। राम मंदिर को लेकर इन्होंने कहा अयोध्या में मंदिर बना रहे थे काश अस्पताल बनाते। यह बात अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्रानंद सरस्वती ने आदर्श गोशाला भ्रमण के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि अकेले वाराणसी में 2200 वर्गफीट में काशी विश्वनाथ का मंदिर था। 2022 से 2023 तक 13 करोड़ लोग वाराणसी आए हैं। 10 करोड़ लोग काशी में रुके हैं। 25 हजार करोड़ रुपए के व्यापार का उछाल एक साल में आया। जो कमरे 4 से 5 सौ रुपए में मिलते थे, अब कमरे 10 हजार रुपए में मिल रहे हैं। फाइव स्टार होटल बन रहे हैं। अयोध्या में पूरे वर्ष में 2 लाख लोग नहीं आते थे। उस अयोध्या में अब 2 लाख लोग प्रतिदिन आ रहे हैं। धर्म और अर्थ व्यवस्था के आपस में कनैक्शन को लेकर उन्होंने कहा कि भारतीय मनीषियों ने हजारों वर्ष से श्रद्धा को आधार बनाया है।

श्री राम जन्मभूमि उत्सव में 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपए का व्यवसाय हुआ। पांच लाख गांवों में मंदिर सजाए गए। तीर्थाटन और पर्यटन को हजारों वर्ष से ऋषियों ने स्वीकार किया था। हम उसी आधार पर अपनी अर्थ व्यवस्था को लेकर आगे बढ़े हैं। उन्होंने ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि को लेकर कहा कि हम उनसे ज्यादा नहीं मांग रहे। वे आगे हाथ बढ़ाएं और जो स्थान मांगेे हैं, वे हमें सौंप दें। अन्यथा न्यायपालिका तो न्याय करेगी ही।

9 हजार गायों का प्रबंधन बड़ी बात

संत जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि ग्वालियर कई बार आना हुआ है। इस बार लोगों ने कहा कि केन्द्र गोशाला रहेगा। इस गोशाला के भ्रमण के समय जाना कि गोशाला को जीवित करने का संघर्ष स्थानीय पत्रकारों ने ही किया है। 9 हजार गायों का बेेहतर प्रबंधन बहुत बड़ी बात है। सरकार का मन ठीक भी रहे तो नीचे व्यक्ति ठीक नहीं रहते। जबकि यह गोशाला है तो सरकार की ही लेकिन संचालन संत कर रहे हैं। ये अलग तरीके से उदाहरण है। जबकि कुछ जगहों पर देखा गया है कि विदेशों से फंड लेने के लिए कुछ कर्मचारियों को पैसे देकर एक दिन के लिए गायों को रख देते हैं और फंड मिलते ही फिर हालत जस के तस हो जाते हैं।

चुनाव लोकतंत्र का महापर्व

संत जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र का महापर्व है, इसमें सभी को बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। मतदान के महत्व को समझना चाहिए। चुनवा मुद्दों के आधार पर होना चाहिए। किसी राजनीतिक दल के घोषणा पत्र के आधार पर नहीं। यह लोकतंत्र की खूबसूरती है कि बहुत सारे उदाहरण मिल जाएंगे कि एक वोट से सांसद जीत गए और यह भी उदाहरण मिलेगा कि एक वोट से सरकार गिर गई। जिनको आज लगता है कि लोकतंत्र खतरे में है, ये वही लोग हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कोट निकाले और धमकी दी कि राम जन्म भूमि का फैसला दिया तो ठीक नहीं होगा। हमने कहा जिसके तथ्यों में दम होगा, उसके पक्ष में फैसला आएगा।

दुनिया की रिसर्च का आधार ग्रंथ

संत जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि चाहे नासा हो या फिर इसरो हमेशा भारतीय धर्म ग्रंथों को ही रिसर्च का आधार बनाया जाता है। उपनिषद, वेद, संहिता आदि पर ही रिसर्च क्यों हो रहा है, कुरान आदि पर क्यों नहीं हो रहा। क्योंकि भारतीय धर्म ग्रंथ और विज्ञान गहरा संबंध है। अभी जापान से कुछ लोग आए थे। उन्होंने हिराशिमा नागासाकी प्रकरण में भारत के पंडितों को लेकर जाकर प्रयोग किया है। जापानी वैज्ञानिकों का मानना है कि भारतीय प्रयोग से उन्होंने इस क्षेत्र में अपंगता पर 40 प्रतिशत सफलता पा ली है।

भारत हमेशा से हिंदू राष्ट्र

उन्होंने कहा कि बागेश्वर धाम ने कहा हिंदू राष्ट्र बनाएंगे। यह तो करोड़ों वर्ष से हिंदू राष्ट्र है। कोई ऐसा नाम बता दो कि जो बाइबल या कुरान में हो। स्वाभाविक रूप से यह हिंदू राष्ट्र है। धर्म के आधार पर विभाजित होने के बाद देश का संविधान बना, इसलिए यह हिंदू राष्ट्र का ही संविधान बना है। 543 में से 132 एससी/एसटी सीट हैं। संविधान में एससी/एसटी को तय करने का आधार मनु संहिता को बनाया। मनु स्मृति में कर्म के आधार पर उसका वर्ण निर्धारित था। बाद में यह कर्म की बजाय जन्मना निर्धारित हो गया। जाति का सर्टिफिकेट जारी होने से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन चुनाव में जाति का जहर घोलने का प्रयास नहीं होना चाहिए।

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