– निर्धारित कीमत पर मिलेगी सब्जेक्ट की बुक और स्कूल ड्रेस
भिण्ड। जिले के सभी प्रायवेट स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली किताबों के साथ गणवेश एवं कॉपियां बच्चों के पालकों को उचित कीमत मिल सकें इसके लिए अगले 16 से 18 मई तक शहर के मेला ग्राउण्ड परिसर में पुस्तक मेले का आयोजन किया जाएगा। इस संबंध में कलेक्टर द्वारा गुरुवार को शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं स्टेशनी विक्रेताओं के साथ बैठक कर पुस्तक मेले के आयोजन को लेकर विस्तार से चर्चा की।
प्रायवेट स्कूलों द्वारा नए शिक्षण सत्र शुरु होने के बाद लगातार चुनिंदा दुकानों पर निजी प्रकाशन की किताबें मंहगे दामों पर बेचे जाने की शिकायतें सामने आ रही थी। जिसको लेकर कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने शहर की प्रसिद्ध बालवाड़ी पुस्तक भण्डर पर बीते दिनों छापा भी मारा था। यहां एनसीईआरटी की किताबों की बिक्री न होने पर उन्होने कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए दुकान को सील किया था। लेकिन इस मामले में अगले रोज दुकानदार एवं पुस्तक विके्रता संघ द्वारा माफी मांगते हुए एनसीईआरटी की किताबें शासन के नियम के आधार पर बेचने का वादा किया जिस पर सील दुकान खोली गई थी।
इसके बाद कलेक्टर द्वारा प्रायवेट स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले सब्जेक्ट की एनसीईआरटी प्रकाशित किताबें एवं स्कूल ड्रेस उचित दामों पर बेचने के लिए एक मेले का आयोजन करने का निर्णय लिया है। जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि उक्त मेले का आयोजन शहर के मेला ग्राउण्ड में आगामी 16 से 18 मई तक किया जाएगा। तीन दिवसीय इस मेले में शहर के प्रायवेट स्कूलों में पढ़ाई जाने वाले किताबें उचित दामों पर उपलब्ध होंगी, जिन्हें कोई भी पालक खरीद सकेंगे।
इसके साथ ही यहां स्कूलों का गणवेश भी निर्धारित दामों पर उपलब्ध होगा। इस संबंध में कलेक्टर द्वारा शहर के सभी पुस्तक विके्रताओं के साथ चर्चा करते हुए मेले में भागीदरी करने की बात कही गई। बैठक में सीईओ जिला पंचायत जगदीश कुमार गोमे, जिला शिक्षा अधिकारी आरडी मित्तल, जिला परियोजना समन्वयक व्योमेश शर्मा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
निजी स्कूल दें पांच वर्ष की फीस का रिकॉर्ड:
अभी तक अपनी मनमानी कर विद्यार्थियों पालकों से मोटी फीस वसूलने वाले सभी निजी स्कूलों को अब वसूल गिए गए पैसों का हिसाब भी शिक्षा विभाग और कलेक्टर को देना होगा। गुरुवार को आयोजित बैठक में कलेक्टर ने इसको लेकर डीईओ आरडी मित्तल को निर्देश देते हुए कहा कि शहर के 10 बड़े प्रायवेट स्कूलों के पिछले पांच साल का फीस वसूली का रिकॉर्ड भी प्रस्तुत किया जाए। जिससे उनके द्वारा वसूल की गई फीस का आंकलन किया जा सके। यदि इसमें शासन के नियमों का उल्लंघन किया गया तो उसको लेकर नियमानुसार कार्रवाई की जा सके।