एनडीए-3.0: संपग्र के सपने को तोड़कर लगातार तीसरी बार आकार लेगी मोदी की सरकार

-वर्ष 2004 में बना संपग्र “इंडिया” बनकर भी बहुमत से रहा दूर

अगले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 3.0 सरकार आकार लेगी। इसके साथ ही संपग्र से इंडिया बने कांग्रेस सहित विपक्ष के अन्य दलों का सरकार बनाने का सपना लगातार तीसरी बार टूटेगा। बीते दो बार की अपेक्षा इस बार एनडीए की सरकार में सहयोगी दलों की मौजूदगी भी उभरकर सामने आएगी। सरकार के गठबंधन में इस बार बीजेपी के अलावा टीडीपी और जेडीयू सहित 41 सहयोगियों की भी बोली सुनाई देगी।

 

जबकि वर्ष 2014 और 2019 में सहयोगियों की अपेक्षा भाजपा का ही बोलबाला ज्यादा रहा। खासकर 2019 से 2024 तक के पांच वर्ष एनडीए गठबंधन के सहयोगी दलों की आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह हो गई थी। इस बार जनता ने एनडीए को 44 फीसदी समर्थन दिया है। जनता के इस समर्थन में बीजेपी को 36.56 फीसदी हिस्सा है, जो वर्ष 2019 में मिले 37.36 फीसदी की अपेक्षा एक प्रतिशत कम है।

 

जनता के इस समर्थन ने बीजेपी को अब संभलकर पारी खेलने की चेतावनी दे दी है, इसका असर सरकार गठन के बाद निर्णय और बयानों में दिखेगा। हालिया चुनाव में 50 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर भाजपा की हार का कारण स्थानीय नेताओं की बयानबाजी और व्यवहार भी रहा है। अब लगातार सत्ता का स्वाद चख रहे भाजपा की दूसरी, तीसरी और चौथी कतार के नेताओं की जुबान और व्यवहार पर काबू लगाना मोदी:3.0 के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा।

 

बता दें कि कांग्रेस से गठबंधन की राजनीति के साथ सरकार चलाना सीखने के बाद अब भाजपा जोड़तोड़ की राजनीति में माहिर हो चुकी है। शुचिता, चाल,चरित्र, चेहरा और विचार की राजनीति के साथ अस्तित्व में आई भाजपा अब हर तरह के दांवपेंच में स्नातक हो चुकी है। जुगत,जुगाड़ और जुगलबंदी को समय रहते ताडऩे वाली भाजपा को भले ही इस बार पूर्ण बहुमत न मिला हो लेकिन उम्मीद है कि सहयोगियों को साधकर अपना कार्यकाल पूरा करेगी।

 

ये हैं एनडीए के घटक

-वर्तमान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में कुल 41 दल शामिल हुए थे। अभी 30 दल दिख रहे हैं और इनमें से भी सिर्फ 15 दल ही ऐसे हैं, जिनकी उपस्थिति संसद में दिखेगी।

-एनडीए के पुराने साथी दल जेडीयू और टीडीपी भाजपा के बाद मंझले भाई की भूमिका में हैं। जेडीयू और टीडीपी के अलावा शिवसेना, रालोप जैसे मंझले भाई सबसे बड़े भाई यानी भाजपा और अन्य छोटे दल यानी पांच से कम सीट जीतने वाले दलों के बीच सेतु भी बन सकते हैं और मंझधार भी साबित हो सकते हैं।

 

यह हो सकता है मंत्रिमंडल का फॉर्मूला

-भाजपा राजस्थान और गुजरात का कोटा कम करके जेडीयू और टीडीपी की मांग पूरी कर सकती है।

-छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार और मध्यप्रदेश का कोटा कम करके शिवसेना, रालोप को संतुष्ट कर सकती है।

-भाजपा ने उड़ीसा जीतकर नया इतिहास रचा है, इसलिए इस बार उड़ीसा को महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती है।

-उत्तरप्रदेश, हरियाणा और दिल्ली का कोटा कम करके पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर और दक्षिण भारतीय राज्यों को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।

-वित्त,गृह,रेल,रक्षा,कृषि,जल,शहरी विकास,ऊर्जा,उद्योग,सड़क-परिवहन, मानव संसाधन, महिला बाल विकास जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में से कम से कम तीन मंत्रालय सहयोगियों के हिस्से में जाएंगे। बाकी के अधिकतर मंत्रालयों पर भाजपा अपना हक बनाए रखेगी।

 

ये बनी गठबंधन की सरकारें

-वर्ष 1989 में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी, ये गठबंधन चुनाव बाद हुआ था।

-वर्ष 1996 में पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेई की 13 दिन की अल्पमत सरकार से वास्तविक गठबंधन दिखा।

-वर्ष 1996 में भाजपा गठबंधन को परास्त कर थर्ड फ्रंट ने सरकार बनाई। कांग्रेस ने इस सरकार को टिकने नहीं दिया।

-वर्ष 1998 में दो धु्रवीय गठबंधन का सही दौर शुरू हुआ। इनमें से एनडीए ने 12 दलों के साथ पूर्ण बहुमत के साथ संसद में कदम रखा।

-वर्ष 1999 में स्व. जे.जयललिता के समर्थन वापस लेने के कारण एक वोट से एनडीए की सरकार गिर गई। मध्यावधि चुनाव हुए।

-वर्ष 1999 में ही एनडीए गठबंधन में 20 दल शामिल हो गए और सरकार बनी। यहीं से संपग्र की नींव रखनी शुरू हो चुकी थी।

-वर्ष 2004 में भाजपा गठबंधन का शाइनिंग इंडिया का नारा फेल हो गया और संपग्र की सरकार बनी।

-वर्ष 2009 में संपग्र ने लगातार दूसरी बार एनडीए गठबंधन को हराकर सरकार बनाई।

-वर्ष 2014 में एनडीए ने पूरी ताकत से वापसी की और संपग्र को सत्ता से बाहर कर दिया।

-वर्ष 2019 में एनडीए की बढ़त एकतरफा रही और कांग्रेस सहित संपग्र के सभी घटक हासिए पर सिमट गए थे।

-वर्ष 2024 में समय ने फिर से पलटी ली है और एनडीए के सबसे प्रमुख दल भाजपा को 240 सीट पर समेटने के साथ ही बहुमत तक पहुंचा दिया है।

-वर्ष 2014 और 2019 में एनडीए के घटक दलों के मंत्री बने जरूर लेकिन उनकी धमक और हैसियत शर्त रखने की नहीं थी।

-वर्ष 2024 में अब जबकि भाजपा पूर्ण बहुमत से 34 सीट दूर रह गई तो सहयोगी दल अपनी उपस्थिति का अहसास कराने में सक्षम दिख रहे हैं।

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