-चैक बाउंस पर चैंबर भवन में कार्यशाला आयोजित
-एड. प्रशांत शर्मा ने कहा: जब प्योरिटी कम हो तो आपको प्रोटेक्शन का लेवल बढाना पड़ेगा
ग्वालियर। पूर्व में वस्तु विनिमय का नियम था तो लोग वस्तु के बदले वस्तु का लेन-देन करते थे। समय बदला तो हम चैक से व्यापारिक लेन-देन कर रहे हैं। वर्ष 1998 तक दक्षिण भारत में चैक बाउंस के मामले में ज्यादा आते थे, उत्तर एवं मध्य भारत में बेहद कम थे। वर्तमान में यह हर जगह देखने को मिल रहे हैं। पहले निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के तहत मात्र चैक पर हस्ताक्षर करने से आप दोषी हो जाते थे लेकिन वर्ष 2006 में यह बदला और आज चैक ग्रहिता पर भी इसकी जिम्मेदारी आ गई है। चैक बाउंस को लेकर हुई कार्यशाला में यह बात सीनियर एडवोकेट भूपेन्द्र सिंह चौहान ने कही।
उन्होंने कहा कि यदि आप किसी को चैक देते हैं और वह आपका पैसा नहीं लौटाता है तो न्यायालय में केस जाने पर वह आपकी सम्पन्नता को यह कहकर चैलेंज करता है कि आपने जो राशि मुझे दी है, क्या उतनी राशि देने के लिए आप सक्षम हैं। अब ऐसी स्थिति के लिए कारोबारी क्या करे? इसका समाधान बताते हुए एडवोकेट चौहान ने कहा कि यदि आप ब्याज पर पैसा किसी को दे रहे हैं तो आपका रजिस्ट्रेशन साहूकारी एक्ट के तहत होना चाहिए।
एडवोकेट चौहान ने बताया कि जरूरी है कि व्यवसाई साहूकारी लायसेंस प्राप्त करे, अपने एकाउंट्स में दिए गए पैसे को दर्ज करे, इससे आप अपनी सामथ्र्य को न्यायालय में सिद्घ कर पाएंगे। साहूकारी लायसेंस लेने के बाद ही आप ब्याज प्राप्त करने का अधिकार रखते हैं। रुपए देने वाले से प्रॉमिसरी नोट पर हस्ताक्षर कराएं। यह परीक्षण कराएं कि जिस व्यक्ति से आपने चैक प्राप्त किया, उसके नाम से व्यक्ति का खाता बैंक में है या नहीं? वह बैंक में दर्ज कराये गए पते पर रहता है या नहीं। आपने निर्धारित अवधि में चैक बैंक में जमा कर दिया है और वह निर्धारित अवधि में जिस बैंक से पैसा आना है, उसमें प्रस्तुत हो गया है। जितनी राशि का चैक इश्यू किया गया है, उतनी लिमिट उस खाते पर है या नहीं। यदि इन सब बातों को आपने सही तरीके से पता कर लिया है तो ही चैक डिसऑनर होने पर आपका प्रकरण धारा 138 के प्रकरण में जीत की उम्मीद कर सकते हैं। इसी के साथ आपने व्यापारिक लेन देन को विधि अनुसार करने की जानकारी विस्तार से प्रदान करें।
विधिक जानकारी देने कराई कार्यशाला
शनिवार को मध्यप्रदेश चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा चैंबर भवन में चैक बाउंस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में सीनियर एडवोकेट भूपेन्द्र सिंह चौहान एवं प्रशांत शर्मा ने विधि विशेषज्ञ के रूप में व्यवसाइयों को बारीकी से कानून से संबंधित जानकारी दी। कार्यशाला की शुरुआत में स्वागत उद्बोधन में अध्यक्ष डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि चैक बाउंस पर जो कार्यशाला का आयोजन है वह इस कार्यशाला का दूसरा पहलू है। असल में यह कार्यशाला व्यापारिक लेन-देन कानूनी रूप से कितना मजबूत हो, इस पर विधिक जानकारी देने एवं जिज्ञासाओं के समाधान के लिए आयोजित की गई। कार्यशाला का संचालन करते हुए मानसेवी सचिव दीपक अग्रवाल ने कहा कि चैंबर की नवीन टीम ने कारोबारियों को विधिक जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विधिक जागरूकता उपसमिति का गठन किया है। इस उपसमिति की प्रथम बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि व्यवसायियों को उनके व्यापारिक लेनदेन में आ रही परेशानियों में शामिल चैक बाउंस जैसे मुद्दे पर जागरूक किया जाए।
सवालों के दिए जवाब
कार्यशाला के अंत में व्यवसायियों ने विधि विशेषज्ञों से कानून से संबंधित सवाल पूछे। एडवोकेट चौहान और एडवोकेट शर्मा ने व्यपारियों के सवालों के जवाब देकर जिज्ञासा को शांत किया। इस दौरान उप समिति संयोजक शैलेष जैन, उपाध्यक्ष डॉ. राकेश अग्रवाल, मानसेवी संयुक्त सचिव पवन कुमार अग्रवाल, पूर्व संयुक्त अध्यक्ष प्रशांत गंगवाल, पूर्व मानसेवी संयुक्त सचिव नरेश सिंघल, पूर्व कोषाध्यक्ष बसंत अग्रवाल सहित कार्यकारिणी समिति सदस्य एवं चैंबर के सदस्य मौजूद थे।
विधि अनुसार बढ़ाना होगा प्रोटैक्शन लेबल
वरिष्ठ अभिभाषक प्रशांत शर्मा ने कहा कि व्यापारिक लेन-देन में विश्वास नाम की प्योरिटी कम हो गई है तो हमें विधि अनुसार अपने प्रोटेक्शन लेबल को बढाना होगा। उन्होंने बताया कि हमने आईएसओ सॢटफिकेशन सुने हैं। यह क्या हैं, जिस किसी के पास भी यह सर्टिफिकेशन है, उन्होंने एक प्रोटोकोल अपनाया है। इसी प्रकार हम अपने व्यापारिक लेन-देन के प्रोटोकोल को विधि अनुसार बनाएं और उन्हें फॉलो करें तो फिर कोई व्यक्ति हमारी गाड़ी कमाई को हड़प नहीं सकेगा। जब भी आप पैसे का लेन-देन करें तो उसका एग्रीमेंट करें और उसे दो प्रतियों में बनवाएं जिसमें से एक आपके पास रहे। यदि इसमें स्टाम्प की राशि ज्यादा लग रही है तो भी ऑरिजनली वह आपके पास होना चाहिए। यदि आप किसी को एक लाख का लेन-देन कर रहे हैं तो 99 हजार भले ही कैश से दें लेकिन एक हजार उसे चैक से दें। यह एक हजार का चैक आपके 99 हजार कैश की राशि को संरक्षित करेगा क्योंकि आपने लिखकर दिया है कि 99 हजार कैश और एक हजार चैक से दिए हैं। हुण्डी का लेन-देन हमारे देश में बैंकिंग से भी ज्यादा होता है, इसे कानून अनुसार फुलप्रूफ बनाएं। इसका प्रोटोकाल और शर्तें आप बना लेंगे और उसका कड़ाई से पालन करेंगे तो आपका धन सुरक्षित रहेगा।