ग्वालियर। जिले के निजी स्कूल संचालक विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों पर किसी दुकान विशेष से यूनीफॉर्म, किताबें व कॉपी आदि खरीदने के लिए दबाव नहीं डाल सकेंगे। जिला दंडाधिकारी रुचिका चौहान ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 के अंतर्गत स्कूल संचालकों, पुस्तक प्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को समाप्त करने के लिए यह महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। अगर किसी विद्यालय संचालक द्वारा आदेश की अवहेलना की तो संबंधित विद्यालय के संचालक, प्राचार्य व बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के सभी सदस्य दोषी माने जाएंगे और भारतीय दंड विधान की धारा-188 के अंतर्गत कार्रवाई होगी।
रविवार को जारी आदेश में डीएम रुचिका चौहान ने स्पष्ट किया है कि निजी स्कूलों की स्वयं की वेबसाइट होना अनिवार्य है। निजी स्कूलों के प्राचार्य व संचालकों को अपने विद्यालय की वेबसाइट पर परीक्षा परिणाम से पूर्व सभी कक्षाओं के लिए अनिवार्य पुस्तकों की सूची अनिवार्यत रूप से अपलोड करनी होगी। विद्यालय के सार्वजनिक सूचना पटल व अन्य स्थानों पर भी सूची प्रदर्शित करनी होगी। इसके अलावा बच्चों के अभिभावकों को भी सूची उपलब्ध करानी होगी। डीएम ने आदेश दिया है कि निजी स्कूलों के प्राचार्य व प्रबंधक अपने स्कूल की प्रत्येक कक्षा के पाठ्यक्रम से संबंधित पुस्तकों तथा प्रकाशकों की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी के ईमेल एड्रेस पर अनिवार्यत रूप से भेजनी होगी।
यह है आदेश के मुख्य बिंदु
-आदेश में कलेक्टर ने साफ किया है कि अभिभावकों को सूचीबद्ध पुस्तकें परीक्षा परिणाम अथवा उसके पहले खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा।
-पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून तक अभिभावक अपने बच्चों के लिए किताबें खरीद सकेंगे।
-अप्रैल माह में शुरू हो रहे शैक्षणिक सत्र के पहले 30 दिन के समय का उपयोग विद्यार्थियों के ऑरिएंटेशन, व्यवहारिक ज्ञान व मनोवैज्ञानिक पद्धति से शिक्षण में किया जा सकेगा।
-माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश, सीबीएसई, आईसीएसई, आदि द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के अंतर्गत एनसीआरटी व मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा प्रकाशित व मुद्रित पुस्तकों के अलावा अन्य प्रकाशकों व मुद्रकों की पुस्तकें विद्यालय में अध्यापन के लिए प्रतिबंधित की जाएं।
-कीमत बढ़ाने के लिए पुस्तकों के सेट में पाठ्यक्रम के अतिरिक्त अन्य पुस्तकें शामिल कर विद्यार्थियों को जबरन खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा।
-किसी भी प्रकार की शिक्षण सामग्री पर विद्यालय का नाम अंकित नहीं होना चाहिए। नोटबुक व कॉपी पर ग्रेड का प्रकार, साईज, मूल्य तथा पृष्ठ संख्या स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिए।
दो से अधिक नहीं होंगीं यूनिफॉर्म
कोई भी विद्यालय दो से अधिक यूनिफॉर्म तय नहीं कर सकेंगे। ब्लैजर व स्वैटर यूनिफॉर्म के अतिरिक्त होगा।
-यूनीफॉर्म इस प्रकार से निर्धारित करना होगी कि कम से कम तीन साल तक उसमें बदलाव न हो।
-वार्षिकोत्सव या अन्य आयोजन के समय अन्य प्रकार की वेशभूषा के कपड़े खरीदने के लिए बच्चों को बाध्य नहीं किया जाएगा।
-जिन विषयों के संबंध में नियामक संस्था द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित नहीं की जाती है, उस विषय से संबंधित पुस्तक की अनुशंसा से पहले स्कूल संचालक को यह तय करना होगा कि पुस्तक की पाठ्य सामग्री आपत्तिजनक नहीं है।
-निजी विद्यालयों के संचालक, प्राचार्य व पालक शिक्षक संघ यह तय करेंगे कि पुस्तकों के निजी प्रकाशक, मुद्रक व विक्रेता स्कूल परिसर में अपनी पुस्तकों का प्रचार-प्रसार करने के लिये किसी भी स्थिति में स्कूल में प्रवेश न कर पाएं।