ग्वालियर की शिवानी का मन रमा कृष्ण में, चल पड़ीं मीरा की राह पर, करेंगीं विवाह, वृंदावन से आएंगे श्याम

परंपरागत रस्मों के साथ आएगी बारात, शहर के मंदिर में होगा पाणिग्रहण

संत कबीरदास ने भक्त की शक्ति को कुछ यूं परिभाषित किया है…………………

जल में बसे कमोदनी, चंदा बसे आकाश।
जो है जा को भावना सो ताहि के पास।।

अर्थात…..कमल जल में खिलता है, चंद्रमा आकाश में बसता है, इसके बावजूद चंद्रमा का प्रतिबिंब जब जल में चमकता है तो दोनों एक दम पास में ही नजर आते हैं। जल में दमक रहे चंद्रमा का प्रतिबिंब ऐसा लगता है जैसे चंद्रमा स्वयं कमल के पास आ गया हो, ऐसे ही जब कोई मनुष्य ईश्वर से प्रेम करता है तो ईश्वर को स्वयं चलकर उसके पास आना होता है।

ईश्वर और मानव के अटूट बंधन, निश्वार्थ प्रेम को वृंदावन की गोपियों ने जाना तो वे स्वयं ही कृष्णमय हो गईं। प्रेम का रंग ऐसा लगा कि स्वयं कृष्ण ही राधा हो गए और राधा कृष्ण हो गईं। यह प्रेम का ही परिणाम था कि वृंदावन में महारास में शामिल होने के लिए महादेव को भी गोपी स्वरूप धारण करना पड़ा।

मेवाड़ की मीरा ने कृष्ण को ही अपना सब कुछ माना तो जहर भी उनका कुछ न बिगाड़ सका और कहा जाता है कि प्रेम में ऐसी रमी कि कृष्ण में ही समा गईं।

कुछ ऐसी ही मिसाल ग्वालियर की शिवानी की दी जा रही है। सिर्फ 23 वर्ष की शिवानी का मन कृष्ण में ही रमा है और अब वे वृंदावन से बारात लेकर आ रहे लड्डू-गोपाल से विवाह करेंगीं।

कैंसर पहाड़ी स्थित मंदिर परिसर में 17 अप्रेल को विवाह की रस्में पूरी होंगीं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वृंदावन के शरारती गोपाल की बारात में बाराती कैसे आते हैं।

 

प्रेम में ऐसी रमी कि कि कृष्ण को ही मान लिया सब कुछ


ग्वालियर की निवासी और 23 वर्षीय शिवानी बीकॉम पास हैं। उनके पिता रामप्रताप परिहार सिक्योरिटी गार्ड हैं और मां मीरा परिहार गृहणी हैं। शिवानी की एक बड़ी बहन भी है, जिसका विवाह हो चुका है। शिवानी को बचपन से ही भगवान के लड्डू-गोपाल स्वरूप से लगाव हो गया था।

भक्ति की यह धारा बड़े होते-होते अगाध प्रेम में बदल गई और युवावस्था के साथ ही शिवानी ने यह तय कर लिया कि वे सिर्फ भगवान कृष्ण की होकर रहेंगीं। भगवान कृष्ण से विवाह की मंशा की जानकारी जब परिजन को लगी तो सभी नाराज हुए लेकिन बाद में बेटी की जिद और अटूट प्रेम महसूस कर राजी हो गए। रिश्तेदार भी नाराज हुए लेकिन वास्तविकता को समझकर अब सभी खुश हैं। माता-पिता ने विवाह की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

सोलह संस्कारों में से एक विवाह की रस्में पूरी होने के बाद शिवानी के जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है, वे कहती हैं कि विवाह के बाद वे अपने लड्डू-गोपाल के साथ वृंदावन में रहेंगीं। गीता का अध्ययन भी करेंगीं और भक्ति में ही जीवन बिताएंगीं।

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