जब सोने की तैयारी कर रहे होंगे भारतीय उसी समय होगी एक खगोलीय घटना, 57 देशों में दिखेगा यह प्रभाव

नवरात्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले प्रभावित देशों में दिन में होगा अंधेरा का आभास

 

भारतीय महाद्वीप के लोगों के लिए नवरात्र शुरू होने से ठीक पहले एक खगोलीय घटना होने वाली है। घटना भी ऐसी है कि एक साथ 57 देश इससे प्रभावित होंगे। इस खगोलीय घटना से न सिर्फ आसमान में प्रभाव दिखेगा बल्कि धरती पर भी दिन में अंधेरे का आभास होगा। यह सब नवरात्र से ठीक एक दिन पहले घटित होगा और यह तब होगा जब राहु की छाया सूर्य पर पड़ेगी।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी 8 अप्रेल को होने वाली खगोलीय घटना का विशेष महत्व है। यह घटना सूर्य ग्रहण के रूप में सामने आने वाली है। यह सूर्य ग्रहण ऐसा होगा जिसमें इलेक्ट्रिकली चाज्र्ड प्लाज्मा दिखेंगे। ये इतनी ऊंचाई के होते हैं कि इनमें एक साथ कई प्रथ्वी समा सकती हैं। बता दें कि बीते वर्ष 20 अप्रेल को भी ऑस्ट्रेलिया में दिखे पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय में भी इलेक्ट्रिकली चाज्र्ड प्जाज्मा दिखे थे।

इस बार 8 अप्रेल को मेक्सिको, अमेरिका और कनाडा के कुछ शहरों में सूर्य ग्रहण पूरा दिखेगा। इस बार दिखने वाला सूर्य ग्रहण विशेष है। विशेष इसलिए है क्योंकि सूर्य अपने 11 वर्ष के चक्र की गतिविधि के चरम पर है, इस गतिविधि को सोलर मैक्सिम के नाम से जाना जाता है। इस घटना में पूर्व की अपेक्षा ज्यादा विशाल प्लाज्मा दिखेंगे।

इतनी अवधि तक रहेगा सूर्य पर पहरा

सूर्य ग्रहण 8 अप्रेल को रहेगा। भारत में ग्रहण दिखाई नहीं देगा क्योंकि उस समय यहां रात होगी। सूर्य ग्रहण से एक दिन पहले एक और खगोलीय घटना होगी और इस घटना में चंद्रमा प्रथ्वी से निकटतम बिंदु पर होगा। इस समय चंंद्रमा की प्रथ्वी से दूरी सिर्फ 3 लाख 60 हजार किलोमीटर दूर होगी। चंद्रमा आकाश में सामान्य से कुछ ज्यादा बड़ा भी नजर आएगा।

यह रहेगा ग्रहण का समय


भारतीय समय के अनुसार रात 10 बजकर 8 मिनट से 1 बजकर 25 मिनट तक पूर्ण सूर्य ग्रहण रहेगा। लगभग 3 घंटे 16 मिनट 45 सैकंड की इस अवधि में संसार के अलग-अलग स्थानों पर अलग अवधि में ग्रहण नजर आएगा। मैक्सिको में यह 40 मिनट 43 सैकंड, अमेरिका में 67 मिनट 58 सैकंड और कनाडा में सूर्य ग्रहण 34 मिनट 4 सैकंड तक नजर आएगा।

जानिए क्यों होता है सूर्य ग्रहण

गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से प्रथ्वी और सभी दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। प्रथ्वी का एक चक्कर 365 दिन में पूरा होता है। प्रथ्वी के उपग्रह चंद्रमा द्वारा 27 दिन में प्रथ्वी का चक्कर लगाया जाता है।

इस दौरान ऐसी स्थिति भी बनती है जब सूर्य और प्रथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है। चंद्रमा के आने से सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती।

सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन ही होता है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा प्रथ्वी के बेहद करीब होता है।

18 महीने की अवधि में संसार के किसी न किसी हिस्से में यह खगोलीय घटना जरूर घटित होती है।

-सूर्य ग्रहण नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए क्योंकि अल्ट्रावायलेट किरणें आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

-अगर ग्रहण देखना हो तो स्पेशल चश्मे का ही प्रयोग करें। दूरबीन या कैमरे की मदद से भी देखने की कोशिश न करें।

-पिनहोल प्रोजेक्टर की सहायता से सूर्य ग्रहण देखना सुरक्षित होता है।

 

अगर भारत में होता तो लगता सूतक

8 अप्रेल को होने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा इसलिए इसका यहां सूतक काल प्रभावी नहीं माना जाएगा। नवरात्र की तैयारी कर रहे धर्म प्रेमी बिना किसी शंका के तैयारी पूरी कर सकते हैं।

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