टिकट कटने के बाद लग रहे अलग-अलग कयास
भाजपा के वरुण गांधी इस बार पीलीभीत के सांसद नहीं कहलाएंगे। पार्टी ने उनकी जगह जितिन प्रसाद को टिकट दिया है। इसके बाद से ही कहा जा रहा है कि वरुण अंदर खाने नाराज हैं और कयास लग रहे हैं कि वरुण को लेकर राहुल गांधी छोटे भाई बड़े भाई वाली नई गोटी फैंक सकते हैं। कांग्रेस यह नई चाल इसलिए भी चल सकती है कि वरुण और राहुल का मिलन एक बार फिर से पूरे परिवार को चर्चाओं में ले आएगा। इसके साथ ही अगर कहीं सोनिया गांधी ने देवरानी मेनका को गले लगा लिया तो फिर गांधी परिवार की एकता के नाम पर आम जनता की सुहानुभूति भी मिल सकती है।
दरअसल, वरुण गांधी का टिकट कटने के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इन अटकलों के बीच फिरोजाबाद में सपा सांसद रामगोपाल यादव ने एक कार्यक्रम के दौरान जब यह कह दिया कि भाजपा वरुण का टिकट काट देती है तो हम उनके नाम पर विचार करेंगे। गाहे ब गाहे बयान देते रहने वाले कांग्रेस के अधीर रंजन भी वरुण को न्यौता दे चुके हैं। हालांकि, वरुण गांधी ने इन सभी दावों और बातों पर अभी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।
अब जबकि वरुण गांधी ने चि_ी लिखकर पीलीभीत के लोगों को बता दिया है कि वे अपनी मां के साथ हैं तो अब विरोधी खेमे की नजर पूरी तरह से वरुण और मेनका गांधी के रुख पर है। कारण यह है कि पूर्व में यह माना जा रहा था कि वरुण गांधी को अमेठी से चुनाव लड़ाया जा सकता है, जबकि मेनका गांधी को रायबरेली से मैदान में उतारा जाएगा। हालांकि, वरुण गांधी के पत्र में लिखीं भावनात्मक पंक्तियों ने अब इस चर्चा को नए सिरे से लोगों के बीच बातों का केन्द्र बना दिया है।
पीलीभीत के लोगों को संबोधित करके वरुण ने जो चि_ी लिखी है, उसका मजमून इस प्रकार है………….
वरुण ने लिखा है कि पीलीभीत के वासियों को मेरा प्रणाम, आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है। मुझे वो तीन साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की उंगली पकड़कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था, उसे कहां पता था कि एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे। मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला। महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सह्रदयता का बहुत बड़ा योगदान है।
आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है। मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई। एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता। सांसद के रूप में नहीं तो बेटे के तौर पर ही सही, मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं और मेरे दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले रहेंगे। मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया थाा और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूं कि सदैव यह कार्य करता रहूं भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े। मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है, जो किसी राजनीतिक गुणा-भाग से बहुत ऊपर है। मैं आपका था, हंू और रहूंगा।
अपनी ही पार्टी को लेकर वक्र रहे हैं वरुण
भाजपा सांसद वरुण गांधी का रिश्ता पार्टी से खट्टा-मीठा रहा है। पार्टी को लेकर वे मुखर रहे हैं। उनके बयानों से कई बार विरोधी दलों को कटाक्ष करने का मौका मिला और पार्टी के लिए भी मुश्किलें बढ़ी हैं। इस बार टिकट कटने के बाद भी वरुण के तेवर ढीले ही दिखे हैं जिससे यह माना जा रहा है कि जब तक उनकी मां मेनका गांधी की ओर से कोई सिग्नल नहीं मिलेगा तब तक हो सकता है वे भावनात्मक तरीके से बयान जारी करके लोगों की सुहानुभूति पाने की फिराक में हों।