आदर्श गोशाला में हुआ प्रकृति उत्सव के नाम से होली मिलन
ग्वालियर। जिस प्रकार से हम रंगों के उत्सव को पूरी तन्मयता, उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं, उसी तरह अगर प्रकृति को मान देकर प्रकृति उत्सव भी मनाया जाए तो न सिर्फ पर्यावरण सुधरेगा बल्कि आम जन में पुरानी भारतीय संस्कृति की ओर लौटने की प्रेरणा भी मिलेगी।
श्रीमद्भगवदगीता में भगवान श्री कृष्ण ने अनेक बार स्वयं को प्रकृति संरक्षक के रूप में परिभाषित किया है। भगवान राम की वनवास यात्रा में उनकी प्रकृति से नजदीकी यह जताती है कि जीवन यात्रा में पर्यावरण कितना महत्वपूर्ण है। यह बात डॉ. पुष्पा तिवारी ने आदर्श गोशाला में मनाए गए प्रकृति उत्सव के दौरान कही।
शुक्रवार को जिला चिकित्सालय ग्वालियर के तत्वावधान में होली मिलन का आयोजन किया गया। आदर्श गोशाला में हुए होली मिलन को प्रकृति उत्सव का नाम दिया गया था। उत्सव में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के उत्कृष्ट कर्मी और पत्रकारों का सम्मान भी किया गया। आयोजन के दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर श्रीमद्भगवदगीता पर शोध कर चुकीं डॉ. पुष्पा तिवारी मौजूद थीं। जबकि विशेष अतिथि के रूप में फूलबाग गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष एचएस कोचर और सिविल सर्जन डॉ आरके शर्मा मौजूद थे।
संतुलन बनाए रखने का मिलता है संदेश
कृष्णायन के संत ऋषभदेवानंद ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि रंग पंचमी सनातियों का प्रमुख पर्व है, जो पंचतत्व के महत्व को दर्शाता है। पंचतत्व अर्थात भूमि, आकाश, आग, वायु और जल का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह पर्व विभिन्न रंगों के मेल से उपजे उत्साह, उमंग भरे खेल और उत्सव के जरिये पंचतत्वों का सत्कार करता है। यह त्यौहार प्रकृति के साथ संतुलन और समावेश बनाने का भी संदेश देता है। यह पर्व वैमनस्यता को त्यागकर तन और मन के मिलन की यात्रा कराने वाला है।
रंग और गुलाल यह संदेश देते हैं कि जीवन में उत्साह और प्रसन्नता का होना बेहद आवश्यक है। एक ही व्यक्ति पर लगे अनेक रंग यह दर्शाते हैं कि मित्रता, सौहार्द और गोमय संस्कृति कैसे एक दूसरे के प्रति समर्पित है। आयोजन में लगभग 200 अतिथियों ने हिस्सा लिया। सम्मान और प्रमुख वक्ताओं के भाषण के बाद सभी ने गोशाला का भ्रमण किया। इसके बाद पत्रकारों का सम्मान हुआ और फिर प्रसाद वितरण किया गया।