आंधी, बारिश और ओलावृष्टि से फसल को नुक़सान
ग्वालियर। असमय बदलते मौसम से आमजन को तो राहत मिल जाती है, मगर किसानों के चेहरे की रौनक गायब हो जाती है। पिछले महीने से लगातार मौसम के उतार-चढ़ाव से फसलों को फायदे से ज्यादा नुक़सान हुआ है। मौसम और भाव की मार से किसान चिंतित और परेशान हैं।
खेतों में पककर तैयार खड़ी फसल किसानों की चिंता बढ़ा रही है। गर्मी के लगातार बढ़ने से फसल अच्छी पकती है। इसके बाद किसान कटाई, खलिहान, भंडारण और बिकवाली में लग जाता है। इसमें करीब एक से डेढ़ महीने का समय लगता है। इस दौरान अगर मौसम में अचानक बदलाव आता है तो किसान को खेत से खलिहान तक लाने में ही 35 प्रतिशत फसल का नुक़सान हो जाता है।
पकी हुई फसल पर बारिश होने पर फसल में नमीं बढ़ जाती है। इससे भाव के साथ-साथ उसके अंकुरण की क्षमता में काफी कमी आ जाती है। इससे अगली फसल के लिए ने बीज खरीदी का खर्च बढ़ जाता है।
ओलावृष्टि होने की दशा में फसल का 50 से 90 प्रतिशत तक नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में किसान की लागत निकलना तक मुश्किल हो जाता है। फिर अगली फसल बोने तक परिवार का पालन, अग
ली फसल बोने की लागत और अन्य खर्च किसानों को कर्जदार बना देती हैं। इसके बाद भी मिलने वाली मदद किसानों को ऊंट के मुंह में जीरा होती है।