राजनीति की चौसर पर बिसात में बिछे मोहरे, हार जीत के रण में आसान नहीं मंजिल

-अबकी बार चार सौ पार के नारे को लेकर मैदान में है भाजपा गठबंधन


लोकसभा 2024 के लिए भाजपा गठबंधन ने अबकी बार 400 पार का नारा दिया है। एनडीए या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 400 पार का लक्ष्य पाने के लिए अपने नेताओं को चुनावी मैदान में उतार दिया है। लक्ष्य को पाने के लिए गठबंधन ने आठ राज्य और पूर्वोत्तर के सात राज्यों में 100 लोकसभा सीटों पर अपनी पूरी ताकत लगा दी है। सहयोगी दलों की इस ताकत के साथ मैदानी क्षेत्रों में भाजपा बड़े भाई की भूमिका में है। शीर्ष नेता लगातार दौरे करके सभाएं ले रहे हैं। इसके बावजूद भाजपा के 370 के टारगेट सहित सहयोगी दलों को मिलाकर 400 पार का जादुई आंकड़ा छूने में खासी मुश्किलें आ सकती हैं। देश के जाने माने पॉलिटिकल एनालिस्ट प्रशांत किशोर के हालिया बयान को देखें तो उनको कहना है कि भाजपा को दक्षिण और पूर्वी भारत में लोकसभा सीट और मत प्रतिशत बढ़त हासिल होने की संभावना है। प्रशांत किशोर द्वारा पब्लिक प्लेटफॉर्म पर किए गए दावों के अनुसार भाजपा तमिलनाडु और तेलंगाना में वोट परसेंटेज का आंकड़ा दहाई अंक में छू सकती है। सबसे सुर्खियों में रहे पश्चिम बंगाल में भाजपा को पहला स्थान मिल सकता है और ओडिशा मेें भी पार्टी पहले नंबर पर पहुंच सकती है।

 

यूपी में 75 पर भाजपा 5 पर सहयोगी

देश की सत्ता की चाबी हर बार की तरह इस बार भी उत्तरप्रदेश के ही हाथ में रहेगी। यहां भाजपा 75 लोकसभा सीटों पर चुनाव मैदान में है, जबकि उसके सहयोगी 5 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। एक और बड़े राज्य बिहार में भाजपा ने अपने सहयोगी दल जेडीयू, एलजेपी (रामविलास), आरएलएम और एचएएम को 23 सीटें दी हैं। जबकि झारखंड में भाजपा एजेएसयू को एक सीट दी है।

 

तेलुगू भाषी क्षेत्र में इस बार खुल सकता है खाता

तेलुगु भाषा बहुल आंध्र प्रदेश में पिछली बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा की कोई सीट नहीं रही है। 83.55 तेलुगु भाषियों के इस राज्य में टीडीपी और जनसेना के साथ भाजपा का गठबंधन है और छह लोकसभा सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी मैदान में हैं। तेलुगुदेशम पार्टी और जनसेना के खाते में 19 लोकसभा सीटें हैं। राज्य में हुए इस गठबंधन से भाजपा को उम्मीद है कि तेलुगु भाषा प्रधान इस प्रदेश में नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस की स्थिति में सुधार होगा।

 

तमिलनाडु में छोटे दलों के साथ करिश्मे की उम्मीद

भारत की जनगणना 2011 की रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु में 88.35 प्रतिशत से अधिक आबादी तमिल भाषी है, इसके बाद 5.87 प्रतिशत तेलुगु, 1.75 प्रतिशत उर्दू, 1.58 प्रतिशत कन्नड़ भाषी लोग राज्य मेें निवास करते हैं। जबकि इस राज्य में 1 प्रतिशत मलयालम भाषा बोलने वाले लोग भी रहते हैं। तमिल भाषियों के राज्य तमिलनाडु में भाजपा ने छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है। एनडीए ने तमिलनाडु के सबसे बड़े दलों में शामिल अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कडग़म और द्रविड़ मुनेत्र कडग़म के साथ गठबंधन नहीं किया है। इसकी बजाय गठबंधन के छोटे-छोटे दलों को राज्य की 24 लोकसभा सीटें दी गई हैं।

 

64 फीसदी कन्नड़ बोलने वालों में भी पैठ बनाने की कोशिश

अधिकारिक रूप से कन्नड़ भाषी राज्य कर्नाटक में 64.75 प्रतिशत आबादी कन्नड़ भाषा बोलती है। अन्य भाषाओं में लगभग 10.54 प्रतिशत लोग उर्दू, 7.03 प्रतिशत तेलुगु, 3.57 प्रतिशत तमिल, 3.60 प्रतिशत मराठी, 3 प्रतिशत तुलु, 2 प्रतिशत हिंदी भाषी लोगों की आबादी है। इस राज्य में भाजपा ने गठबंधन के अंग जेडीएस को कोलार, हासन और मांड्या लोकसभा सीट दी है। भाजपा ने पिछली लोकसभा की तरह इस बार भी करीब 25 सीट पर परचम को कायम रखने की उम्मीद के साथ गठबंधन रखा है। एक अनुमान के मुताबिक भाजपा को उम्मीद है कि इस बार संख्या में सुधार होगा।

 

महाराष्ट्र पर विशेष नजर

देश के पश्चिम क्षेत्र के बड़े प्रदेश महाराष्ट्र की लोकसभा सीटों पर भाजपा की विशेष नजर हैं। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सहित कई औद्योगिक नगरों को समेटे इस राज्य की अधिकांश आबादी मराठी भाषी है। इसके अलावा हिंदी, उर्दू, गुजराती,अहिरानी, बंजारी, भीली या भीलोड़ी, तेलुगु, कन्नड़, मारवाड़ी और कोंकणी भाषा बोलने वाले लोग भी इस राज्य में निवास करते हैं। एनडीए गठबंधन का सबसे महत्वपूर्ण घटक शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीसी (अजित पवार) हैं। राज्य में भाजपा अपने दोनों घटक दलों के साथ मतदाताओं के मन में स्थाई जगह बनाने के प्रयास में है।

 

पूर्वोत्तर के आठ राज्य भी अहम

भारत के पहाड़ी राज्यों में शुमार असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम को मिलाकर आठ पूर्वोत्तर राज्य अंतर राष्ट्रीय राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन राज्यों में से सिक्किम को छोड़कर बाकी के सात राज्यों को आपस में जुड़ा होने की वजह से सेवन सिस्टर्स का संबोधन भी दिया गया है। पूर्वोत्तर भारत के इन आठ राज्यों में 25 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से अकेले असम में 14 सीट हैं। जबकि मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में दो-दो सीटें हैं। सिक्किम और मिजोरम में एक-एक लोकसभा सीट है। असमिया, मिसिंग,बोडो, दिमासा, गारो, नेपाली, कार्बी, खासी, कुकी, मणिपुरी,मिजो,नागा, राभा, राजबोंगशी, तिवा,त्रिपुरी,बंगाली और विष्णुप्रिया मणिपुरी भाषा बोलने वाले लोग अधिकतर समय देश के अन्य हिस्सों से कटे रहते हैं। इन राज्यों को प्रगति की मुख्य धारा से भी जोडऩे में उल्लेखनीय सफलता नहीं मिल सकी है। भाजपा नीत एनडीए गठबंधन ने सहयोगी दल एजीपी के लिए दो और यूपीपीएल के लिए एक सीट दी है। पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में सहयोगी दलों को मेघालय में दो सीट एलएस को और दो सीट एनपीपी को दी हैं।
नागालैंड में एक सीट एनडीपीपी को दी है।

केरल में भी खोलना है खाता

लगभग 124 बोलियों वाले केरल में 96.97 प्रतिशत लोग मलयाली भाषी हैं। जबकि 1.49 प्रतिशत तमिल भाषा बोलते हैं। शतप्रतिशत साक्षरता वाले इस प्रदेश में भाजपा ने 16 सीटों पर चुनाव लडऩे का फैसला किया था, जबकि चार लोकसभा सीटों पर सहयोगी दल मैदान में हैं। इस राज्य में पिछली बार भाजपा का खाता तक नहीं खुल सका था। इस बार भाजपा ने कांग्रेस और वामपंथी दलों के एकाधिकार वाले इस गढ़ में सेंध लगाने की तैयारी की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!