लोकसभा चुनाव 2024:ग्वालियर में असमंजस, मुरैना में मुकाबला और भिंड में सवर्ण-ओबीसी की मंशा पर टिका चुनाव

– संभाग के सबसे बड़े प्रत्याशी सिंधिया का पर्चा भर चुका है, अब हो रही चर्चा जीत-हार की

ग्वालियर। लोकसभा 2024 के लिए ग्वालियर-चंबल संभाग की चारों सीटों पर भाजपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी तय कर दिए हैं। संभाग की गुना-शिवपुरी सीट पर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में पर्चा भर चुके हैं। ग्वालियर-चंबल अंचल में सिंधिया को सबसे बड़ा प्रत्याशी माना जा रहा है।

इसके साथ ही अब पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में हुई उनकी हार और वर्तमान में भाजपा प्रत्याशी के रूप में मतदाताओं तक उनकी पहुंच को लेकर लगातार चर्चा हो रही है।

चर्चा यह भी है कि जिस तरह भाजपा ने पिछली बार यादव प्रत्याशी उतारकर सिंधिया के समीकरण गड़बड़ा दिए थे, उसी तरह इस बार कांग्रेस ने भी सिंधिया के सामने यादव प्रत्याशी सामने रखकर मुकाबले को रोचक बनाने की कोशिश की है।

जन चर्चा के अनुसार इस बार भले ही यादव वोट का धु्रवीकरण हो जाए लेकिन अन्य समाजों में उपजी सुहानुभूति का फायदा सिंधिया को मिल सकता है। जबकि मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट पर चुनाव कांग्रेस वर्सेस भाजपा होने की संभावना है। कांग्रेस के प्रत्याशी सत्यपाल सिंह सिकरवार को भाजपा प्रत्याशी शिवमंगल सिंह से ज्यादा प्रभावी बताया जा रहा है।

ग्वालियर लोकसभा में चुनाव का माहौल अभी असमंजस की स्थिति से गुजर रहा है, मतदाताओं के बीच भाजपा प्रत्याशी की बजाय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, नरेन्द्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर ही चर्चा हो रही है।

जबकि कांग्रेस द्वारा हाल ही में घोषित किए गए प्रत्याशी प्रवीण पाठक को अब सर्वमान्य प्रत्याशी के रूप में प्रमोट करने की कोशिश की जा रही है। इसी तरह भिंड-दतिया लोकसभा क्षेत्र में सवर्ण और ओबीसी मतदाता की मंशा पर पूरा चुनाव टिका है।

 

इस तरह का दिख रहा मतदाताओं का मन

गुना-शिवपुरी (प्राइम सीट)


यादव, रघुवंशी, लोधी, आदिवासी, सवर्ण और अन्य ओबीसी एवं जनजातियों में विभाजित लोकसभा क्षेत्र में आजादी के बाद से ही सिंधिया राजवंश का प्रभाव रहा है। यहां से राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया, यशोधरा राजे सिंधिया सांसद चुने जा चुके हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी यहां से कांग्रेस के टिकट पर पूर्व में चुने जाते रहे हैं। इस बार में भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में हैं। कांग्रेस ने जातीय ध्रुवीकरण को साधने के लिए यादव समुदाय से प्रत्याशी उतारा है। हालांकि, सिंधिया को हर दृष्टि से मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है, इसके बाद भी मतदाताओं की मंशा को पहचानने के लिए पूरा सिंधिया परिवार शहर, गांव और कस्बों की खाक छान रहा है।

ग्वालियर


आरक्षण के हिसाब से सामान्य वर्ग के खाते में गई इस लोकसभा सीट पर भाजपा ने सामान्य वर्ग के किसी प्रत्याशी पर भरोसा दिखाने की बजाय कुशवाह समुदाय से भारत सिंह कुशवाह को प्रत्याशी बनाकर सभी को चौंका दिया था। विधानसभा चुनाव हार चुके भारत सिंह कुशवाह को वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का करीबी माना जाता रहा है। जबकि कांग्रेस ने लगातार मतदाताओं का धैर्य परखने के बाद प्रवीण पाठक को टिकट दिया है। पाठक भी विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इस तरह से विधानसभा में हारे हुए दो प्रत्याशियों के बीच अब ग्वालियर लोकसभा का मुकाबला चल रहा है। कांग्रेस नेता कल्याण सिंह कंसाना बागी होकर बसपा से टिकट ले आए हैं और अब कांग्रेस को हराने की खुली चुनौती दे रहे हैं। यह समीकरण भाजपा के पक्ष में हो सकता है, लेकिन कांगे्रस के प्रवीण पाठक को लेकर शहरी और ग्रामीण मतदाता के मन में हटकर छवि बन रही है, जिसका पाठक को फायदा मिल सकता है। इन सबसे अलग भारत सिंह कुशवाह पूर्व में प्रदेश सरकार के मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं, इसलिए मतदाता की कसौटी पर खरा उतरने के लिए सबसे ज्यादा परीक्षा कुशवाह की ही होगी।

मुरैना-श्योपुर

लोकसभा क्षेत्र में क्षत्रिय, ब्राह्मण, ओबीसी और अनुसूचित जाति के मतदाताओं का लगभग बराबर प्रभाव है। इसके बावजूद क्षेत्र में हमेशा से क्षत्रिय और ओबीसी वर्चस्व की रस्साकसी जारी रही है। ब्राह्मण समुदाय भी मौका मिलने पर अपना प्रभुत्व दिखाने में सफल रहा है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के प्रभाव वाली इस लोकसभा सीट पर भाजपा ने शिवमंगल सिंह तोमर को टिकट दिया है। जबकि कांग्रेस ने पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार पर भरोसा दिखाया है। कांग्रेस के इस दांव ने मुकाबले को रोचक बना दिया है। स्थिति यह है कि अब नीटू के नाम से प्रसिद्ध सत्यपाल सिंह सिकरवार जहां अपने परिवार की पृष्ठभूमि के साथ मतदाताओं तक पहुंच बना रहे हैं, वहीं भाजपा के प्रत्याशी शिवमंगल सिंह को वोट के लिए सबसे ज्यादा सहारा मोदी के नाम का ही लेना पड़ रहा है। मुरैना से लेकर सबलगढ़ तक और फिर विजयपुर से लेकर श्योपुर तक राजस्थान की सीमा से सटे इस लोकसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए सबसे ज्यादा दूरी तय करनी पड़ रही है। कयास यही है कि दूरस्थ गांवों में जिन प्रत्याशियों की पहुंच ज्यादा बेहतर रहेगी उनका अतिरिक्त फायदा मिलने की उम्मीद ज्यादा रहेगी।

भिंड-दतिया

लोकसभा क्षेत्र अजा वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां से भाजपा ने निवर्तमान सांसद संध्या राय पर ही दोबारा भरोसा दिखाया। जबकि कांग्रेस ने सवर्ण विरोधी छवि के नेता फूलसिंह बरैया को मैदान में उतारा है। बरैया को उम्मीदवार बनाने के पीछे मंशा यह हो सकती है कि लोकसभा की तीन सीटों पर अनुसूचित जाति का वोट प्रभावित करता है और कांग्रेस इसका पूरा फायदा उठाने के लिए लालायित है। दूसरी ओर अभी तक अविवादित छवि के साथ संध्या राय को न्यूट्रल फेस माना जा रहा है। ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर वाली छवि का फायदा संध्या राय को मिलने की संभावना है। क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य वर्ग को लेकर नफरती बयान देते रहे फूलसिंह बरैया को अब अपनी छवि सुधारने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ेगी।

लेखक परिचय
नाम: धर्मेन्द्र त्रिवेदी
संप्रति: वर्ष 2003 से पत्रकारिता क्षेत्र में हैं। दैनिक जागरण, नई दुनिया, पत्रिका सहित अन्य समाचार पत्रों में प्रशासनिक संवाददाता, राजनीतिक संवाददाता,ब्यूरो प्रमुख और कंटेंट प्लानर के रूप में कार्यरत रहे हैं। वर्तमान में द ग्रिप न्यूज के लिए सेवाएं दे रहे हैं।

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