-इटावा कलेक्टर ने कहा दूसरे पुल का करें इंतजार, आवागमन में हो रही परेशानी
भिण्ड। नेशनल हाईवे 719 बरही के पास चंबल नदी के पुल को बंद हुए 10 महीने हो गए हैं। पुल की मरम्मत भी करीब ढ़ाई महीने पहले की जा चुकी है। बावजूद इसके अभी भी इटावा कलेेक्टर के द्वारा चंबल पुल खोले जाने की जरूरत महसूस नहीं हो रही है। बल्कि उनका कहना है कि दूसरा पुल बन रहा है तब तक भारी वाहन इस पुल से नहीं गुजरेंगे। चंबल पुल बंद होने से आमजन को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि साल 2023 जून महीने में चंबल पुल पर खराबी होने के कारण आवागमन बंद कर दिया गया था। जिसके बाद आईआईटी कानपुर के द्वारा पुल की मरम्मत कराई गई थी। जिसमें उनके द्वारा पुल की ओके रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। इसी दरम्यान इटावा कलेक्टर और भिण्ड कलेक्टर के बीच वर्चुअल मीटिंग हुई थी जिसमें इटावा कलेक्टर के द्वारा कुछ शर्तें भिण्ड कलेक्टर के समक्ष रखी गई थीं।
भिण्ड कलेक्टर के द्वारा सभी शर्तों को मान लिया गया था। लेकिन फिर भी इटावा कलेक्टर ने हठधर्मिता के चलते पुल पर आवागमन बहाल नहीं होने दिया है। इस संबंध में इटावा कलेक्टर का एक अजीब तर्क भी सामने आया है, जिसमें वे कह रहे हैं कि नया पुल बन रहा है तो पुराना क्यों चालू करें। नए पुल की आड़ में पुराना पुल न चालू करना तो तुगलकी फरमान ही कहा जा सकता है। अब प्रश्र ये है कि अभी तो नऐ पुल का निर्माण कार्य भी शुरु नहीं हो पाया है। इसका निर्माण कार्य शुरु होने से पहले वन एवं पर्यावरण क्लियरेंश लेने में ही करीब 6 माह का समय लग जाएगा।
उसके बाद काम शुरु होने के करीब 3 साल में नया पुल बनकर खड़ा हो सकेगा। तब तक आमजन के आवागमन के लिए क्या व्यवस्था होगी। अगर आईआईटी कानुपर द्वारा दी गई ओके रिपोर्ट पर भरोसा नहीं है तो फिर उनसे काम क्यों लिया गया और रिपोर्ट क्यों मांगी गई। क्यों दिखावा करते हुए भिण्ड कलेक्टर के समक्ष शर्तें रखी गईं। टोल कंपनी के द्वारा भी कहा जा चुका था कि अगर पुल चालू होने के बाद फिर कोई खराबी होती है तो उसे दुरुश्त करा दिया जाऐगा।
आवागमन हो रहा प्रभावित:
ज्ञात हो कि चंबल पुल बंद होने से भिण्ड शहर के नागरिकों को इटावा जाने के लिए सड़क मार्ग सुगम होता है। भिण्ड से इटावा के लिए ट्रेन कुछ एक ही चल रही हैं। ऐसे में नागरिकों को इटावा, आगरा की तरफ जाने के लिए अधिक समय और पैसा खर्च करना पड़ रहा है। वहीं सफर के दौरान भिण्ड से इटावा की तरफ जाने वाले यात्रियों को चंबल पुल के इस ओर उतार दिया जाता है और पुल को पैदल पार करना पड़ता है। फिर पुल पार करने के बाद दूसरा वाहन तलाश करना पड़ता है। ऐसे में बुजुर्ग और बच्चों को गर्मी अधिक होने से परेशानी हो रही है।
नहीं हो सका रेत खदानों का टेण्डर:
चंबल पुल बंद होने की वजह से इस साल भिण्ड जिले में रेत का ठेका भी नहीं हो सका है। क्योंकि रेत की खपत यूपी में अधिक होती है और मुनाफा भी अधिक हो जाता है। लेकिन भारी वाहनों पर आवाजाही बंद होने से किसी भी ठेकेदार के द्वारा ठेका नहीं लिया गया है। जिसके कारण प्रदेश सरकार को लगभग 70 करोड़ रूपये राजस्व का नुकसान हो चुका है। वहीं आमजन को अपने निजी काम के लिए भी रेत महंगे दाम पर खरीदना पड़ रहा है। सार्वजनिक कार्यों के निर्माण पर भी इसका असर हो रहा है।
आवश्यक वस्तुओं पर असर:
चंबल पुल बंद होने से इटावा की ओर से आने वाली सब्जियां यहां तक नहीं पहुंच पा रही हैं। जिसके कारण सब्जियों के दाम भी काफी बढ़ गए हैं और आमजन का रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। ऐसा ही कुछ हाल फलों के लिए भी हो रहा है। बड़े वाहन मालिकों को भी काफी नुकसान हो रहा है और उन वाहनों पर आश्रित कर्मचारी भी परेशान हो रहे हैं।