दुर्गा नगर बह रही पावन भागवत रस धार की गंगा
भिण्ड। शहर के दुर्गा नगर में चल रही श्रीमद भागवत कथा यज्ञ के चौथे दिन भागवत आचार्य साध्वी सर्वेश्वरी दासी ने कहा भगवान केवल भाव को देखकर कृपा करते हैं। यदि आपका सोचना है कि ठाकुरजी धनवान लोगों पर ही कृपा करते है तो सुदामा जैसे पर कृपा नहीं करते। वहीं ठाकुर जी केवल वृद्वजनों पर कृपा करते है तो प्रहलाद पर नहीं होती। इसलिए जीवन में याद रखना ठाकुरजी हमेशा हर उस इंसान पर कृपा करते हैं जो उन्हें भाव से याद करता है।
यहां वामन अवतार का प्रसंग सुनाते हुए कथावाचक साध्वी सर्वेश्वरी दासी ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में एक तरफ तो करवा चौथ करके मरने नहीं देते है ओर घर आते ही जीने नही देते है। जीवन में महिलाओं को सती चरित्र से सीखना चाहिए, क्योंकि उसने जीवन में पतिव्रत धर्म के सिवा किसी को नहीं माना। इसलिए जीवन में चरित्रवान होना चाहिए। रामचरित् मानस में अनसुईया के चरित्र का वर्णन किया गया है। स्त्री दो प्रकार की होती है एक उत्तम प्रकार दूसरी मध्यम प्रकार की। दोनों में बहुत फर्क होता है।
मध्यम प्रकार की स्त्री जो सभी को समान देखें। वहीं उत्तम प्रकार की स्त्री वह होती है जो किसी के बुलाए बिना पहुंच जाती है। इसलिए जीवन में बगैर बुलाएं कहीं नहीं जाना चाहिए। क्योंकि जहां आप बिन बुलाए जाते है वहां आपकी कद्र नहीं होती है। सती अनसुईया का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि श्रेष्ठ सति की उपाधि में है अनसुईया। प्रसंग का समापन सति चरित्र, धु्रव चरित्र, अनसुईया चरित्र के साथ हुआ। इसकेे बाद महाआरती कर प्रसादी का वितरण किया गया। आयोजित कथा में बड़ी संख्या में श्रद्वालुओं ने भाग लिया।