आचार्य विहर्ष सागर महाराज ससंग का नगर में हुआ भव्य मंगल प्रवेश

-सकल जैन समाज एवं सामाजिक संगठनों ने पाद प्रक्षालन एवं आरती कर की आगवानी

भिण्ड। आचार्य विहर्ष सागर महाराज मुनि विजयेश सागर महाराज ससंग का नगर के कीर्ति स्तंभ दिगंबर जैन मंदिर लश्कर रोड से नगर में भव्य आगमन हुआ है। परेड चौराहा, सदर बाजार, गोल मार्केट, बतासा बाजार होते हुए चैत्यालय जैन मंदिर ऋषभ सत्संग भवन पहुंचे। जहां पर सामाजिक संगठनों द्वारा कई जगह पाद प्रक्षालन तथा आरती की गई है।

इस अवसर पर आचार्य विहर्ष सागर महाराज ने चेत्यालय जैन मंदिर स्थित सत्संग भवन में प्रवचनों में कहा कि जिसके जीवन में गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं। जब मैं गृहस्थ अवस्था में घर में था तब यह गीत सुना करता था कि गुरु के आने से ही जीवन शुरू होता है। सन 1998 में गुरु गणाचार्य विराग सागर महामुनिराज को देखा था मैं पहले कभी मंदिर नहीं गया और ना ही कभी आहार दिया एक बार जब गुरुवर का पड़ागाहन चल रहा था। तब उस गुरु के पड़ागाहन की मुद्रा को देखकर मुझे बैराग्य आ गया और तभी से गुरु जीवन में आ गए। तभी से जीवन शुरू हो गया मेरे घर के नाम को हटाकर विहर्ष सागर बना दिया गया। उस समय गुरुवर के साथ मात्र 9 संत हुआ करते थे जो गुरु ने मुझे नाम दिया गुरु के इस उपकार को कभी नहीं भूला सकता मेरे पैरों की चमड़ी उधेड़ दो तो भी पूरा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा आहार चौक में कभी स्वाद नहीं देखना घर में एक मां भोजन देती है लेकिन चौका में 10 से 20 मां एक रोटी के चार टुकड़े करके उसका शोधन करके खिलाती है यही गुरु का उपकार है।

गुरु की अगवानी को हुए आतुर

जिस समय नगर में गुरु विहर्ष सागर का आगमन हुआ उसी समय उनके दर्शन करने के लिए लोग आतुर दिखाई दे रहे थे। इस अवसर पर रतनलाल जैन, महेंद्र जैन, पार्षद मनोज जैन, राकेश जैन, उमेश जैन, अशोक जैन, विवेक जैन, रमेश चंद जैन, यश जैन, बॉबी जैन, स्नेहलता जैन, संगीता पवैया, कल्पना जैन, सुनीता जैन, निशा जैन, गीता जैन सहित बड़ी संख्या में महिला पुरुष बच्चे उपस्थित थे।

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