-ऋषभ भवन में धर्मसभा को आचार्य श्री ने किया संबोधित, कहा मूर्ति खरीद सकते हैं भगवान नहीं
-ज्ञान का दीपक अंदर बाहर उजाला कर देता है
भिण्ड। आचार्य विहर्ष सागर महाराज ने ऋषभ सत्संग भवन में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य श्री कुंदकुंद स्वामी ने समय सार ग्रंथ में कहा है कि सारे ब्रह्मांड में सबसे सुंदर वस्तु कौन सी है। तब उन्होंने कहा कि सबसे सुंदर वस्तु अगर कुछ है तो वह है आत्मा जो हर व्यक्ति के अंदर है। हमें इस आत्मा के कल्याण के लिए भगवान की भक्ति बड़े भक्ति भाव के साथ करना चाहिए जिससे आत्मा का कल्याण हो। आज के समय में व्यक्ति भगवान की भक्ति को छोड़कर प्रपंचों में पड़ गया है जितने विवाद शादी विवाह में नहीं उतने विवाद मंदिर मस्जिद में हो गए हैं। कोई साधु आ रहे हैं तो पंत गोरे या काले या उनके आचार्य कौन हैं यह मत देखना। बल्कि उनकी दिगंबर मुद्रा को देखकर उनकी सेवा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो मंदिर में भगवान की मूर्ति आज के श्रावक रखवाते हैं वो कहते हैं कि यह मूर्ति मैंने दी है। पैसों से मूर्ति खरीदी जा सकती है लेकिन भगवान नहीं। जब साधु उस मूर्ति में सूर्य मंत्र दे देता है तो वह मूर्ति भगवान बन जाती है जो जन-जन की हो जाती है। वहां पर उपस्थित श्रवण मुनि विजयेश सागर महाराज ने कहा कि भिण्ड नगर के लोगों की पवित्र भावना है। वह दुनिया में कहीं नहीं मिलेगी भिण्ड की नगरी में कोई भी महाराज आ जाए या आ जाते हैं तो उनके लिए पूरा सामान तैयार हो जाता है। आपकी शहर में आचार्य विहर्ष सागर महाराज ज्ञान बांटने आए हैं। कहते हैं ज्ञान का दिया जला दो प्रभु आज मेरे मन मंदिर में घर मैं दीपक हम जलाते आ रहे हैं लेकिन ज्ञान का दीपक जिसने जला लिया उसे बाहर का दीपक जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह, पीके जैन, रतनलाल जैन, प्रदीप जैन गुड्डा, राजेंद्र जैन, रमेश जैन, महेंद्र जैन, पार्षद मनोज, जैन राकेश जैन, अशोक जैन, विनोद जैन, सत्येंद्र जैन, पिंटू जैन, विशाल जैन, रमेश चंद जैन, अशोक जैन, विजय कुमार जैन, जितेंद्र जैन, नरेश जैन, बबलू सिंधी, बिट्टू जैन आदि बड़ी संख्या में महिला पुरुष बच्चे उपस्थित थे।
चातुर्मास करने की लगाई गुहार
आचार्य विहर्ष सागर महाराज का ससंघ नगर आगमन हुआ तो गुरुवार को प्रणाम करने के लिए विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह आचार्य के पास पहुंचे। वहां पर उन्होंने आचार्य श्री को श्रीफल चढ़ाकर आशीर्वाद प्राप्त किया और उन्होंने कहा है गुरूवर आपका आगमन पिछले कई वर्षों बाद हुआ है। मेरी भावना है कि इस वर्ष का चातुर्मास भिण्ड नगर में हो। और जो कार्य अधूरा है वह भी आपको करना है इसलिए हम आपसे विनती करते हैं की चातुर्मास भिण्ड में हो। आज सुना है कि आपका बिहार हो रहा है लेकिन हमारी भावना एक और है कि कल अक्षय तृतीया है तो आप एक दिन और भिण्ड में प्रवास करें जिससे यह कार्यक्रम भी अच्छे से हो। तभी महाराज ने विधायक जी के निवेदन पर एक दिन का प्रवास के लिए स्वीकृति प्रदान की।