जल की व्यवस्था से होगी किसी के प्राणों की रक्षा, इससे बढ़ा कोई पुण्य नहीं

-वैशाख में जो देता है पक्षियों को दाना-पानी, उसे मिलता है पुण्यलाभ

चैत्र के महीने में फसल कटने के बाद खेत खाली हो जाते हैं। इसके साथ ही तापमान बढ़ता है और गर्मी अपना असर दिखाने लगती है। पर्यावरण को पहुंचाए गए नुकसान की वजह से प्राकृतिक जल स्रोत सूखना शुरू हो जाते हैं। वैशाख के महीने में अधिकतर जल स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच जाते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर पशु और पक्षियों पर पड़ता है। इंसान पर निर्भर ये पशु पक्षी पानी न मिलने पर कभी-कभी अपनी जान भी खो देते हैं या फिर किसी खतरनाक स्थिति में फंस जाते हैं। ऐसे में अगर हम अपने फ्लैट की बालकनी या फिर अपने घर की छत पर छाया करके पानी रख दें तो पक्षियों की प्यास बुझाने में सबसे ज्यादा मददगार उपाय रहेगा। इसी तरह अगर हम किसी मौहल्ले, कॉलोनी या टाउनशिप में रह रहे हैं तो घरों के बाहर कम से कम एक टंकी में पानी भरकर जरूर रखें। यह पानी बेसहारा गोवंश से लेकर अन्य पशुओं के लिए भी अमृत सिद्ध होगा।

 

ये बीते कई वर्ष से दे रहे दानापानी


शहर के वरिष्ठ समाजसेवी राज चड्ढा और उनकी पत्नी बीते कुछ वर्षों से लगातार दानापानी अभियान चला रहे हैं। इस अभियान के माध्यम से यह दंपती अपने सहयोगियों के सहयोग से पानी के लिए निशुल्क टंकियां दे रहे हैं। इसके साथ ही पक्षियों के लिए सकोरों का वितरण कर रहे हैं। दानापानी अभियान से अभी तक शहर के करीब दस हजार लोग जुड़ चुके हैं।

 

अक्षय तृतीया से ले सकते हैं संकल्प

अगर आप धार्मिक मनोवृत्ति के हैं और अभी तक आपने अपने फ्लैट की बालकनी या फिर घर की छत या दरवाजे पर जल की व्यवस्था नहीं की है तो अक्षय तृतीया से कर सकते हैं। इसका पुण्यलाभ भी मिलेगा। अगर आप मानवता में विश्वास रखते हैं तो भी जल की व्यवस्था आपको मानसिक सुख का अनुभव कराएगी। अगर हिंदू मान्यताओं के अनुसार बात करें तो वैशाख मास में अगर पक्षियों के लिए दानापानी की व्यवस्था करेंगे तो नवग्रह की अनुकूलता मिलने के साथ ही जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

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