राजघराने से राजनीति तक हमेशा परिवार का सेतु रहीं राजमाता माधवीराजे

राजमाता माधवीराजे सिंधिया का निधन, अंतिम संस्कार कल

-नेपाल राजवंश की राजकुमारी थीं माधवीराजे

 

ग्वालियर। नेपाल राजघराने की राजकुमारी और सिंधिया राजघराने की राजमाता एवं केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां का बुधवार की सुबह निधन हो गया। वे 75 वर्ष की थीं और एम्स में उन्होंने करीब 9.28 बजे अंतिम सांस ली। राजमाता माधवीराजे सिंधिया लगभग दो महीने से एडमिट थीं और पिछले कुछ दिनों से उनकी तबियत में सुधार नहीं हो रहा था।


ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी ट्वीट करके कन्फर्म किया था कि बड़े दुख के साथ साझा करना चाहते हैं कि राजमाता साहब नहीं रहीं। पार्थिव देह दोपहर 3 से शाम 7 बजे तक अंतिम दर्शन के लिए रखी गई है। गुरुवार को शाम 5 बजे ग्वालियर स्थित छत्री परिसर में राजघराने के रीति रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा। इससे पहले सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक ग्वालियर के लोग राजमहल में अंतिम दर्शन कर सकेंगे। राजमाता माधवीराजे सिंधिया राजघराने से राजनीति तक हमेशा परिवार का सेतु बनी रहीं। राजमाता के निधन पर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित अन्य नेताओं ने शोक प्रकट किया है।

राजकुमारी से महारानी

नेपाल राजघराने की राजकुमारी किरण राजलक्ष्मी देवी के दादा राणा राजवंश के प्रमुख और नेपाल के प्रधानमंत्री जुद्ध शमशेर जंग बहादुर राणा थे। वे कास्की और लमजुंग के महाराज और गोरखा के सरदार रामकृष्ण कुंवर के वंशज थे। राजकुमारी के विवाह का प्रस्ताव सिंधिया राजघराने भेजा गया और उनकी तस्वीर जब महाराज माधवराव ने देखी तो पहली नजर में वे उनको भा गई थीं। इसके बाद यह रिश्ता पक्का हो गया।


राजघराने की बारात राजकुमार के विवाह के लिए रवाना हुई तो दिल्ली से ग्वालियर के बीच स्पेशल ट्रेन चलाई गई थी। इस विशेष ट्रैन से ही ग्वालियर राजघराने के महाराज की बारात गई। 8 मई 1966 को यह विवाह संपन्न हुआ और नेपाल की राजकुमारी को ग्वालियर सिंधिया राजघराने की बहू एवं राजवंश की महारानी के रूप में नई पहचान मिली।

विवाह के बाद मराठी परंपरा के अनुसार सिंधिया राजघराने की बहू बनकर आईं नेपाल की राजकुमारी किरण राजलक्ष्मी देवी का नाम बदलकर माधवीराजे सिंधिया रखा गया गया। इसके बाद उनकी पहचान माधवीराजे के नाम से ही होती रही है।

मां और बेटे के बीच सेतु

 

राजमाता विजयाराजे सिंधिया और उनके बेटे माधवराव सिंधिया के बीच अनबन थी। मां-बेटे के संबंधों के कड़ुवाहट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बार राजमाता ने यह तक कह दिया था कि माधवराव उनके अंतिम संस्कार में शामिल न हों। हालांकि, जब राजमाता विजयाराजे सिंधिया का स्वर्गवास हुआ तो उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने ही उन्हें मुखाग्नि दी थी। इस सबके बाद भी राजमाता और महारानी माधवीराजे सिंधिया के बीच कभी मतभेद नहीं पनपे। माधवीराजे परिवार के संतुलन के लिए हमेशा मां-बेटे के बीच सेतु बनी रहीं।

बेटे के लिए मजबूत स्तंभ

सिंधिया राजवंश के महाराज माधवराव सिंधिया का निधन 30 सितंबर 2001 में हुआ था। इसके बाद यह कयास लगाए जाने लगे थे कि माधवीराजे सिंधिया राजनीति में आएंगीं। यह तय लग रहा था कि लोकसभा:2004 चुनाव में ग्वालियर से उम्मीदवार होंगीं। हालांकि, उन्होंने राजनीति से दूरी बनाए रखी। पति की राजनीतिक विरासत बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए सहेज दी।

माधवराव सिंधिया के निधन के बाद महारानी माधवीराजे सिंधिया अंदर से काफी टूट गई थीं। इसके बावजूद बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया और बहू प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया का हमेशा मार्गदर्शन करती रहीं। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ङ्क्षसधिया भी हमेशा मां से सलाह मशविरा करके ही निर्णय लेते रहे।

मार्च 2020 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से विदा लेकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने का निर्णय तब उनकी मां माधवीराजे उनके फैसले के साथ रहीं। ज्योतिरादित्य के साथ उनके बेटे महाआर्यमन सिंधिया और पत्नी प्रियदर्शिनी राजे मजबूती के साथ खड़े थे, जबकि मां माधवीराजे सिंधिया मजबूत स्तंभ बनकर साथ रहीं। कांग्रेस से भाजपा में जाने से पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया संकोच कर रहे हैं। ऐसे में पिता की विरासत को नए सिरे से संभालने में मां माधवीराजे ने मागदर्शक की भूमिका निभाई और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी दादी विजयाराजे सिंधिया के नक्शे कदम पर चलते हुए बड़ा कदम उठाया।

गुरुवार को होगा अंतिम संस्कार

-जानकारी के अनुसार सुबह 10 बजे राजमाता की पार्थिक देह नई दिल्ली से ग्वालियर रवाना की जाएगी।
-सुबह 10.45 बजे पार्थिव देह एयर एंबुलेंस ग्वालियर एयरपोर्ट पहुंचेगी।
-सुबह 11.15 बजे एयर पोर्ट से रानी महल के लिए रवाना की जाएगी।
-सुबह 11.45 बजे पार्थिव देह जय विलास पैलेस स्थित रानी महल पहुंचेगी।
-दोपहर 12.30 से 2.30 बजे तक राजमाता की देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
-दोपहर 2.30 से 3 बजे तक राजमाता की अंतिम यात्रा की तैयारी होगी।
-दोपहर 3.30 अंतिम यात्रा छत्री के लिए रवाना होगी।
-शाम 5 बजे सिंधिया रियासत की छत्री में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

 

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