-तापमान बढऩे के साथ ही अस्पताल में बढ़े डायरिया और फीवर के मरीज
-अधिकतर वार्ड फुल, डॉक्टर भी कम
भिंड। बीमार होने पर अगर अस्पताल में इलाज के लिए जा रहे हैं तो जरा संभलकर जाइए। कारण यह है कि जिले के सबसे बड़े अस्पताल में पेशेंट इतने पहुंच रहे हैं कि एक-एक बैड पर तीन-तीन मरीजों को ड्रिप चढ़ाई जा रही है। अधिकतर वार्ड में पलंग फुल हैं और इलाज के लिए मराजों को मजबूरी मेें जमीन पर लेटना पड़ रहा है। तापमान में हो रही बढ़ोतरी से एक ओर अचानक मरीजों में वृद्धि हो रही है तो दूसरी ओर अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। अस्पताल प्रबंधन भी सुधार के लिए प्रयास नही किए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि हीटवेव अलर्ट के साथ ही तापमान लगातार बढ़ रहा है। पारा 46 डिग्री पार कर रहा है। हीट वेब का असर दिखना शुरु कर दिया है। गर्मी के प्रभाव से बच्चों में डायरिया फैल रहा है। बुखार के रोगियों की संख्या में भी अचानक बढ़ोतरी हुई है। जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच रहे मरीजों को बदहाल व्यवस्थाओं से जूझना पड़ रहा है। सोमवार को जिला चिकित्सालय के शिशु वार्ड के हालात कुछ ऐसे ही दिखाई दिए। एक ही पलंग पर तीन बच्चों को ड्रिप चढ़ाई जा रही थी। वार्ड में कुल 24 पलंग हैं, जबकि 70 के करीब बीमार बच्चों को यहां भर्ती किया गया था। अकेले शिशु वार्ड में ही नही बल्कि जनरल वार्ड सहित अन्य वार्ड में भी पलंग फुल नजर आए।
डॉक्टर की कर्मी से इलाज में देरी:
जिला अस्पताल को लंबे अरसे से डॉक्टर की कमी से जूझ रहा है। नियमित तौर पर यहां 39 डॉक्टर की जरुरत है, जिसमें फिलहाल 14 ही यहां पदस्थ हैं। 25 विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी होने के कारण यहां आने वाले मरीजों को इलाज की पर्याप्त सुविधा नही मिल पाती है। मेडीशन विशेषज्ञ के 5 पद होने के बाद भी अभी तक यहां एक भी नियमित डॉक्टर नही हैं। ऐसे में यहां संविदा चिकित्सक के रुप में डॉ विनीत गुप्ता पर ही मरीजों की जिम्मेदारी बनी हुई है। इसके अलावा यहां रेडियोलॉजिस्ट, पैथलॉजिस्ट से लेकर अन्य मेडीकल स्टाफ की संख्या भी पर्याप्त नही हैं। ऐसे में मरीजों को पर्याप्त इलाज नही मिल रहा है।
हालात खराब तो ग्वालियर रैफर:
बीते लंबे समय से जिला अस्पताल में डॉक्टर की कमी और पर्याप्त इलाज सुविधाऐं न होने से यहां मरीजों की हालात खराब होने पर ग्वालियर रैफर कर दिया जाता है। इस बदइंतजामी का नतीजा है कि यहां आने वाले ज्यादातर मरीज 80 किलो मीटर दूर ग्वालियर रैफर कर दिए जाते हैं। अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार बीते 5 महीनों में कुल 2936 मरीजों को ग्वालियर रैफर किया जा चुका है। सड़क हादसों में घायलों से लेकर बीमारी के हालत बिगड़ते ही डॉक्टर व अन्य स्टाफ रिस्क न लेते हुए उसे रैफर कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।
डीएम का निरीक्षण फिर भी हालत खराब:
जिला चिकित्सालय में मरीजों को पर्याप्त सुविधाऐं न मिलने की सूचना पर बीते दो महीने में कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा यहां कई बार निरीक्षण किया गया, जिसमें खामियां सामने आने के बाद उन्होने इसको लेकर प्रबंधन पर नाराजगी व्यक्त करते हुए इन्हें सुधारने के निर्देश दिए। लेकिन इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा सुविधाऐं व इलाज न होने का खामियाजा सिस्टम के सिर फोड़ते हुए जल्द व्यवस्था करने की राग अलापा जाता है। जिसमें डॉक्टर की मांग के लिए स्वास्थ्य विभाग से पत्राचार करने के साथ डिमांड भेजने की बात कही जाती है।
निजी अस्पतालों का ही सहारा:
सरकारी चिकित्सालय में सुविधाओं और चिकित्सकों की कमी की समस्या को देखते हुए ज्यादात मरीज निजी अस्पताल पर भरोसा करते हैं। जिसके लिए उन्हें मोटी रकम चुकानी पड़ रही है। इसके साथ ही अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर भी निजी प्रेक्टिस कर रहे हैं, जो मरीजों से मोटी फीस लेकर उन्हें सरकारी अस्पताल में ही भर्ती कर इलाज की सुविधा देते हैं।
इनका कहना है:
-अस्पताल में डॉक्टर की कमी को लेकर विभागीय स्तर पर पत्राचार किया गया है। इन दिनों तेज गर्मी और लू के कारण मरीज की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इसके चलते व्यवस्थाऐं बिगड़ रही हैं, फिर भी हम सभी को पर्याप्त इलाज दे रहे हैं।
डॉ अनिल गोयल, अस्पताल अधीक्षक