ग्वालियर: पश्चिम अफ्रीकी देश के समाजसेवियों ने देखा गायों का प्रबंधन

-भारतीय संस्कृति, गोसंवर्धन, ग्रामीण कल्चर और खेती के तरीके से समझने आया है दल

ग्वालियर। भारतीय ग्रामीण अर्थ व्यवस्था, गोपालन, संवर्धन और गो प्रबंधन को समझने के लिए पश्चिम अफ्रीका के सेनेगल एवं माली देश के समाजसेवियों ने आदर्श गोशाला का भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान संत ऋषभदेवानंद ने पूरे दल को गायों के लिए किया जा रहे प्रबंधन को लेकर जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने भारत में गायों के महत्व को समझाया।

दरअसल, वर्ष 2017 से राजस्थान के धौलपुर की संस्था मंजरी ने पश्चिम अफ्रीकी देशों के समाजसेवियों को भारतीय संस्कृति, अर्थ व्यवस्था और पशु पालन आदि को समझने के लिए बुलाना शुरू किया था। इस वर्ष सेनेगल और माली की 14 सदस्यीय टीम भारत भ्रमण पर आई है। इस टीम ने गुरुवार को धोलपुर के गांवों में भ्रमण किया। इसके बाद शुक्रवार को ग्वालियर आकर आदर्श गोशाला के प्रबंधन को समझा। गोशाला में स्वयंसेवकों ने पश्चिम अफ्रीकी देश से आए अतिथियों का स्वागत किया। दल ने गोशाला में अपनाए जा रहे पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से गायों की देखभाल को समझा। इसके साथ ही जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को समझाई जा रही विधि की भी जानकारी ली।

भारत ऋषि परंपरा का देश

गोशाला का प्रबंधन संभाल रहे कृष्णाायन गोरक्षा शाला हरिद्वार के संत ऋषभदेवानंद ने दल के सदस्यों को बताया कि “भारत की ऋषि-संस्कृति वाला देश है। हमारे लिए प्रसन्नता की बात है कि पश्चिम अफ्रीका के हमारे साथी भारत में ग्राम-राम के महत्व को समझने के लिए यहां आए हैं। संत ऋषभदेवानंद ने गो आधारित अर्थव्यवस्था, गोवर्धन योजना, बॉयोगैस से आत्मनिर्भरता सहित महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से किए जा रहे रोजगार की भी जानकारी दी।

दल ने समझी गतिविधियां

अफ्रीका से आए दल ने गोशाला की प्रबंधन गतिविधियों में हिस्सा लिया। दल के सदस्यों ने समझा कि गायों को चारा कैसे दिया जाता है। गोबर गैस से सामूहिक रसोई चलाने का तरीका क्या है। जैविक खाद कैसे तैयार की जाती है। इसके साथ ही गोशाला में काम कर रहे गोसेवक किस तरह से दैनिक कार्य करते हैं। मंजरी संस्था के संजय कुमार शर्मा ने बताया कि समाजसेवियों का यह दौरा भारत और पश्चिम अफ्रीका के बीच सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करेगा। इस प्रकार के सांस्कृतिक और शैक्षणिक भ्रमण भविष्य में भी जारी रहने की संभावना है। इससे दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे की कृषि पद्धति और संस्कृति के बारे में जानने का मौका मिलेगा। इस दौरान चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने कृषि आधारित अर्थ व्यवस्था को लेकर दल के सदस्यों को जानकारी दी।

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