-आलमपुर में मंशापूर्ण हनुमान मंदिर पर हो रही कथा में पहुंचे श्रद्धालु
आलमपुर। आलमपुर नगर के मध्य स्थित मंशापूर्ण हनुमान मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन पंडित जितेन्द्र उपाध्याय महाराज के द्वारा आत्म देव धुंधली और धुंधकारी की कथा को विस्तार से सुनाया। उन्होंने बताया कि आत्मदेव जोकि एक वेद पाठी ब्राह्मण थे बड़े ही विद्वान थे, लेकिन उनके यहां कोई पुत्र नहीं था। वह आत्म ग्लानि से भरे हुए एक दिन जंगल में जा पहुंचे। वहां उन्हें एक साधु के दर्शन हुए। साधु ने उन्हें एक फल दिया। आत्मदेव की पत्नी धुंधली ने वह फल अपनी गाय को खिला दिया।
कुछ समय बाद गाय ने एक बच्चे को जन्म दिया। उसका पूरा शरीर मनुष्य का था, केवल कान गाय के थे जिसका नाम गोकर्ण रखा गया। एक धुंधली का पुत्र जोकि उसकी बहन का था, का नाम धुंधकारी रखा गया। आचार्य ने बताया कि साधु के आशीर्वाद से जो पुत्र हुआ वह ज्ञानी धर्मात्मा हुआ और धुंधकारी दुराचारी, व्यभिचारी निकला। व्यसन में पड़कर चोरी करने लगा। एक दिन लोभ में आकर इसकी हत्या कर दी।
बाद में यह प्रेत बना, जिसकी मुक्ति के लिए गोकर्ण महाराज जी ने भागवत कथा का आयोजन किया। भागवत कथा सुनकर धुंधकारी को मोक्ष की प्राप्ति और प्रेत योनि से मुक्ति मिली। इसके बाद बावन भगवान की कथा सुनाई गई।
कथा का श्रवण करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालूजन मंशापूर्ण हनुमान मंदिर पर पहुंच रहे हैं। अत्यधिक गर्मी का प्रभाव कम करने के लिए कथा आयोजकों के द्वारा पंडाल में समुचित व्यवस्था की जा रही है। लू के थपेड़ों को दरकिनार करते हुए भक्तजन कथा का नियमित श्रवण कर रहे हैं। संगीतमय कथा में धार्मिक भजनों को भी गाया जा रहा है। उक्त कथा में महिलाओं के द्वारा भी बढ़ चढ़कर भागीदारी की जा रही है। कथा संपन्न होने के बाद आरती की गई फिर उसके बाद प्रसादी का वितरण किया गया।