-उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपति जितेन्द्र माहेश्वरी के मुख्य आतिथ्य में मनाया चैंबर ऑफ कॉमर्स का स्थापना दिवस
-1946-51 के मध्य भूमि-भवन कोष में सहयोग करने वाली फर्मों के परिजन का हुआ सम्मान
ग्वालियर। समय और नदी की धारा में सब बह जाया करते हैं, होते हैं कुछ लोग यहां जो इतिहास बनाया करते हैं। इन पंक्तियों के साथ मुख्य अतिथि जस्टिस जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी ने कहा कि चैंबर ऑफ कॉमर्स की स्थापना 26 मई 1906 को हुई। 26 मई 2024 को संकष्टी चर्तुथी है यानि भगवान गणेश की पूजा का दिन। इस दिन जो भी मनोकामना भगवान गणेश से की जाती है, वह सब पूर्ण होती है। चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ जो इंडस्ट्री शब्द जुड़ा हुआ है, उसके लिए बहुत कार्य करने की आवश्यकता है। वर्ष 1991-92 एवं 1992-93 ग्वालियर इंडस्ट्री का स्वर्णिम काल था, फिर इसमें डाउनफॉल आया। वर्ष 2006-07 एवं 2007-08 में कुछ उछाल देखने को मिला। चैंबर ने जो मल्टी नेशनल कंपनियों के डिपो की स्थापना का संकल्प लिया है, उस पर अवश्य कार्य किया जाना चाहिए।
जस्टिस माहेश्वरी ने कहा कि मैंने इंदौर में देखा है कि वह लोग अपने कार्य को संकल्प के साथ करते हैं। हमें भी संकल्प के साथ करना है और हम जो विचार करेंगे और उस पर कार्य भी करेंगे तो वह विचार एवं संकल्प हमारे पूर्ण होंगे। कोई भी संस्था नाम से नहीं चलती है। संस्था से जुड़े हुए व्यक्ति और उसके व्यक्तित्व के साथ उस संस्था का व्यक्तित्व बनता है। ग्वालियर का व्यक्ति बहुत स्ट्रांग है, उसके काम करने का तरीका बहुत सशक्त है अर्थात उसमें एक्जिक्यूशन की शक्ति है। हमारे पास अमल का माद्दा है पर चेतना का अभाव है। हमें अपनी चेतना को जगाना है। यदि आप विचार कर लें और अपनी चेतना को जगा लें तो फिर आपको आगे बढने से कोई नहीं रोक सकता है। मैं पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का प्रशंसक रहा हूँ और जब वह चैंबर के शताब्दी समारोह में आए थे तब उनका कहना था कि मप्र में कौशल की कमी नहीं और यह भूमि परिश्रम की भूमि है। उनका मनाना था कि मप्र को एक विकसित राज्य बनाया जाए। इसमें चैंबर ऑफ कॉमर्स ग्वालियर के कर्मठ व्यक्ति अपना योगदान दें। हम अपने विचारों से आगे बढते हैं, जैसा हम सोचेंगे वैसा ही हम कर पाएंगे। चैंबर एकजुट होकर कार्य करे और बड़ा सोचे। हमारे प्रधानमंत्री ने वर्ष 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की व्यवस्था का आव्हान किया है। यह आपके लिए एक इन्वीटेशन है और भारतवर्ष की प्रगति में चैंबर को ग्वालियर एवं मध्यप्रदेश की ओर से अपना योगदान सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने अपने उदबोधन में कहा कि हमारे युवा मल्टी नेशनल कंपनियों के लिए अपने कौशल को दे रहे हैं। यदि हम ग्वालियर में ही अपने व्यवसाय को नए रूप में विकसित करें तो हमारे युवाओं का टैलेंट भी आपके व्यसाय की उन्नति के साथ ग्वालियर-मध्यप्रदेश एवं देश के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाएगाा।
मप्र चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एमपीसीसीआई) का 119 वां स्थापना दिवस उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपति जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। रविवार को हुए कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्य अतिथि एवं पदाधिकारियों द्बारा चैंबर की स्थापना के प्रेरणा स्त्रोत रहे कैलाशवासी माधव राव सिंधिया (प्रथम) एवं चैंबर की प्रथम कार्यकारिणी समिति सदस्यों को पुष्पांजलि अर्पित की गई। मुख्य अतिथि न्यायाधिपति जितेन्द्र माहेश्वरी ने एमपीसीसीआई की पिन का विमोचन किया गया।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिपति जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी के जीवन पर कोषाध्यक्ष संदीप नारायण अग्रवाल द्बारा प्रकाश डाला गया। आयोजन की शुरुआत दीप प्रज्जवलन केे साथ हुई। इसके बाद चैंबर अध्यक्ष डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने फलों की टोकरी से मुख्य अतिथि का स्वागत किया। जबकि आयोजन के अंत में उपाध्यक्ष डॉ. राकेश अग्रवाल एवं मानसेवी संयुक्त सचिव पवन कुमार अग्रवाल ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र कुमार गंगवाल, पूर्व संयुक्त अध्यक्ष प्रशांत गंगवाल, पूर्व उपाध्यक्ष राधाकिशन खेतान, सुरेश बंसल, पारस जैन, पूर्व मानसेवी संयुक्त सचिव जगदीश मित्तल, ब्रजेश गोयल, पूर्व कोषाघ्यक्ष अजीत सचेती, कैलाश लहारिया, गोकुल बंसल, बसंत अग्रवाल सहित कार्यकारिणी समिति सदस्य आदि मौजूद थे।
आयोजन के दौरान अध्यक्ष डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने स्वागत उदबोधन में कहा कि जो व्यक्ति शिखर पर पहुंचकर भी सहज व सरल होता है, वह व्यक्ति ईश्वर का सर्वोत्तम आशीर्वाद प्राप्त व्यक्ति होता है। ऐसे व्यक्ति एवं शख्सियत के रूप में हमारे बीच जस्टिस जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी मौजूद हैं। स्थापना दिवस पर चैंबर ऑफ कॉमर्स अपने पूर्वजों एवं उनके कार्यकलापों को याद करता है, जिससे हम सभी को मार्गदर्शन मिले और हम नए संकल्प की ओर बढें। हम 1946-51 के मध्य जिन फर्मों ने चेम्बर को आर्थिक सहायता दी, उनका सम्मान किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ग्वालियर हमेशा कर्मवीरों के नाम से जाना जाता है। राजनीति, संगीत, न्याय एवं बॉलीवुड में भी ग्वालियर के कर्मवीरों ने मान बढ़ाया है। न्याय के क्षेत्र में जस्टिस आर.सी. लाहोटी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में ग्वालियर का मान बढ़ाया और जस्टिस जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी ग्वालियर का मान बढा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 119 वे स्थापना दिवस पर कुछ संकल्प लिए गए हैं, इनमें ग्वालियर विकास का एजेण्डा, स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम, युवा उद्यमिता विकास कार्यक्रम, विधिक जागरूकता एवं पर्यावरण संरक्षण पर कार्यक्रम किए जाएंगे। साथ ही ग्वालियर में सभी मल्टी नेशनल कंपनियों के डिपो स्थापित करना, व्यापारी की सुरक्षा के लिए काम करना, जब व्यापारी वृद्घावस्था में हो तो उसके चुकाए गए कर के आधार पर उसे पेंशन मिले एवं व्यापारी के यहां किसी आकस्मिक दुर्घटना पर नुकसान होने पर उन्हें वापिसी योग्य ऋण शासन से उनके चुकाए गए कर के आधार पर मिले इसके लिए कार्य किया जाएगा।
मानसेवी सचिव दीपक अग्रवाल ने बताया कि 18 जनवरी 2023 को हमारी टीम द्वारा पदभार ग्रहण करने के बाद 118 वर्ष के रिकार्ड का डिजिटलाईजेशन कराया गया। इसमें लगभग 1 लाख से अधिक दस्तावेज शामिल हैं। इन्हीं दस्तावेजों के अध्ययन से पता चला कि 26 मई 1906 को शाम 5 बजे अमृतसर बैंक में ग्वालियर शहर के चुनिंदा व्यवसाईयों की चैंबर ऑफ कॉमर्स के स्थापनार्थ विशेष अधिवेशन का आयोजन किया गया। इस बैठक में लाला गोवर्धनदास , एजेन्ट अमृतसर बैंक ने प्रस्ताव किया कि चैंबर ऑफ कॉमर्स की स्थापना की जाए, इसका हुकुम सिंह साहब ने अनुमोदन किया। यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार हुआ था।
ये रखे गए थे प्रस्ताव
1. वाणिज्य व्यापार संबंधी आपस के झगड़ों और अभियोगों को निपटारा करना।
2. वाणिज्य तथा व्यापार संबंधी कष्टों तथा कठिनाईयों को दरबार की सेवा में उपस्थित करना ।
3. ग्वालियर राज्य में वाणिज्य व्यवसाय की उन्नति के उपाय सोचना और व्यवहार में लाना ।
4. प्रजा की वाणिज्य संबंधी उन्नति के कार्यों में दरबार को सहायता देना ।
5. अन्य उपायों को उपयोग में लाना, जिससे वाणिज्य की उन्नति हो।
यहे बने थे पहले पदाधिकारी
सेठ भिखारीदास प्रेसीडेन्ट, बाबू गोवर्धनदास वाइस प्रेसीडेन्ट, कंवर हुकुम सिंह सेकेट्री, बाबू रामजीदास ज्वाइंट सेकेट्री और अमृतसर बैंक खजांची नियत किए गए थे। बैठक में सभी की सहमति से एक मैनेजिंग कमेटी (प्रबंधकर्ता सभा) निश्चित की गई। यह भी निश्चय हुआ कि इस सभा की कार्रवाई देवनागरी भाषा में हो। प्रत्येक मैंबर मैनेजिंग कमेटी से आठ आना मासिक चंदा लेना तय किया गया। वर्तमान जीएसटी की अवधारणा भी वर्ष 1906 की बैठक में कमर्शियल बोर्ड को चि_ी लिखने का निर्णय लिया गया। संस्था के दस्तावेजों का डिजिटलाईजेशन करने के दौरान रिकार्ड का अध्ययन करने पर यह भी पता चला कि चैंबर ऑफ कॉमर्स के स्वयं के भवन निर्माण का कार्य कराया जाए। इसके लिए गोवरधनदास वैश्य को सौंपा गया। भवन के लिए 9,229 रुपए भूमि क्रय की गई। 74,671 रुपए की लागत से भवन बना। इसमें 104 सदस्यों ने 64,176 रुपए की धनराशि का आर्थिक सहयोग किया। जबकि 19,572 रुपए चैंबर के कोष से प्रदान किए गए।
इनका हुआ सम्मान
-मेसर्स मोतीलाल अगरवाल मिल्स लि., मेसर्स ग्वालियर बूल इण्डस्ट्रीज एवं मेसर्स अग्रवाल प्लास्टिक व रबर इण्डस्ट्रीज माधव बंसल, आशुतोष बंसल, राघव बंसल, विक्रांत बंसल
-मेसर्स ग्वालियर ट्रेडर्स लिमिटेड विजय नागोरी
-मेसर्स नन्दराम नारायणदास अशीम वैश्य, सुजाता वैश्य
-मेसर्स ग्वालियर पेंट व केमीकल इण्डस्ट्रीज लिमिटेड चन्द्रमोहन नागोरी
-मेसर्स गणेशीलाल फूलचन्द डॉ. वीरेन्द्र कुमार गंगवाल, चंद्रलेखा गंगवाल व प्रशांत गंगवाल
-मेसर्स रामप्रसाद रामनारायण के राजकुमार गर्ग
-मेसर्स किशनचन्द्र रामबक्श मनीष बिंदल, आकाश बिंदल
-मेसर्स छेदीलाल फूलचन्द के नन्दकिशोर अग्रवाल, बृजेश गोयल, बालकृष्ण अग्रवाल
-मेसर्स मक्खनलाल रघुवरदयाल के विजय गुप्ता, अजय गुप्ता, चैतन्य गुप्ता
-मेसर्स जे. बी. मंघाराम एण्ड कंपनी के फैक्ट्री हेड अजीथ गोपीनाथन
-मेसर्स बालकृष्ण ब्रदर्स के हरी अग्रवाल, राजेश अग्रवाल
-मेसर्स दीनानाथ ग्यासीलाल के सतीश गर्ग, अनिल गर्ग
-मेसर्स तुलसीराम भगवानदास के देवेन्द्र अग्रवाल, नितिन अग्रवाल, सौरभ अग्रवाल
-मेसर्स रामनारायण गोपालदास के प्रदीप गर्ग
-मेसर्स धनराज चंचलमल के मुरारीलाल, विष्णु सिंघल, राकेश सिंघल, सुनील सिंघल, हितेश सिंघल, डॉ. सुरेश सिंघल, विशाल सिंघल
-मेसर्स चिन्तामन किशनलाल के राजेश बंसल, मनीषा बंसल
-मेसर्स शेर बीड़ी एजेन्सी के अल्पना अग्रवाल, आदयन्त अग्रवाल
-मेसर्स लालचंद बरमानी एण्ड कंपनी के राजीव विरमानी
-मेसर्स गनपतराम रामनाथ के रामेश्वर बिजपुरिया
-मेसर्स गोपीलाल छोटेलाल के रामबाबू गोयल
-मेसर्स दीनानाथ बद्रीप्रसाद के राकेश कुमार गुप्ता
-मेसर्स भगवानदास खंडेलवाल के बालकृष्ण खण्डेलवाल
-मेसर्स फूलचंद हरविलास लश्कर के श्याम शरण बांदिल, भरत बांदिल, लक्ष्मण बांदिल, मनीष बांदिल
-मेसर्स लेखराज जमनादास के श्रीकृष्ण गर्ग, अनिल कुमार गर्ग, पुनीत कुमार गर्ग
-मेसर्स परमानन्द लालचन्द के महेश गर्ग, भगवत गर्ग
-मेसर्स लालजीराम बालचन्द के विजय कुमार गर्ग, अंकित गर्ग
-मेसर्स भैरोदान घीसूलाल के पारसमल पारख, अमित पारख
-मेसर्स हीरालाल कन्हैयालाल के अक्षय गंगवाल, आदित्य गंगवाल
-मेसर्स केसरीमल पहाड़ीमल के आशीष बांदिल, गोपाल बांदिल, राजेन्द्र बांदिल, अरुण बांदिल, अशोक बांदिल, दिनेश बांदिल
-मेसर्स जगन्नाथ रामसहाय के लक्ष्मीनारायण तपा
-मेसर्स गोवरधनदास राधाकिशन के सुदर्शन झंवर, भरत झंवर
-मेसर्स शिवप्रसाद औंकारनाथ के लक्ष्मण दास अग्रवाल, सौरभ अग्रवाल
-मेसर्स भगवानदास शिवदास, शिवपुरी के प्रदीप सांखला
-मेसर्स हनुमान आइल मिल्स, शिवपुरी के भगवतदास गोयल, मनीष गोयल
-मेसर्स रामदयाल एण्ड संस के महेशबाबू सिंघल
-मेसर्स ब्रजलाल ढोढी के विद्यासागर ढोड़ी
-मेसर्स छोटेलाल कस्तूरमल के अरुण कुमार अग्रवाल
-मेसर्स फकीरचन्द गनेशराम के बालकिशोर सिंघल, मनोज अग्रवाल
-मेसर्स मोतीलाल राधाकिशन के आशीष खण्डेलवाल
-मेसर्स रामरत्न रामदेव सारडा के लक्ष्मणदास सारडा, बालकिशन सारडा
-मेसर्स मोतीलाल लख्मीचंद बरैया के हीरालाल बरैया
-मेसर्स डॉ. ओ. एन. गोयल के डॉ. शिवकुमार गोयल, डॉ. अनूप गोयल, अभिषेक गोयल
-मेसर्स रामजीलाल भगवानदास की लक्ष्मीदेवी अग्रवाल- लता गोयल, कमलादेवी गोयल, बसंत अग्रवाल, पराग अग्रवाल
-मेसर्स गंगाराम श्रीकिशनदास के कमल सिंघी
-मेसर्स ग्वालियर डिस्ट्रीब्युटिंग कंपनी के विमल गुप्ता
-मेसर्स कुन्दनमल सूरजमल सचेती के अजीत सचेती
-मेसर्स रामचंद जमनादास रेनवाल के रमेशचंद रेनवाल
-मेसर्स नारायणदास लक्ष्मनदास दूदावत के विजय दूदावत, अरविन्द दूदावत, राजकुमार दूदावत
-मेसर्स गोवरधनदास जी वैश्य के संजय वैश्य, संदीप वैश्य