मूल्यहीन शिक्षा के प्रभाव से जन्म लेती है समस्याएं: प्रो. तिवारी

-शासकीय महाविद्यालय चीनौर में “मूल्य आधारित शिक्षा के उद्देश्य एवं प्रभाव” विषय पर हुआ राष्ट्रीय वेबीनार

ग्वालियर। चरित्र बल ही प्रधान होता है। मूल्यहीन शिक्षा के प्रभाव और उससे जन्म लेती समस्याओं के उपरांत समाज की विकृतियां बढ़ती हैं। यह बात मुख्य वक्ता प्रोफेसर शंभूनाथ तिवारी ने कही। उन्होंने कहा मनुष्य और जानवरों के भेद को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा जो खरीदा न जा सके वही मूल्य है। इस दौरान
प्रोफेसर दीप्ति कौशिक ने मूल्य आधारित शिक्षा का सूक्ष्म अन्वेषण प्रस्तुत किया। जबकि नागालैंड से डॉ. अंजलि ने मूल्य आधारित शिक्षा के क्रियान्वयन और विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के लिए सामाजिक मूल्यों के समावेश का महत्व बताया।

 

उच्च शिक्षा विभाग के दिशा निर्देशों पर शासकीय महाविद्यालय चीनोर के समाजशास्त्र विभाग द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। बेबिनार में “मूल्य आधारित शिक्षा के उद्देश्य एवं प्रभाव” विषय पर विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रकट किए। गूगल मीट के माध्यम से हुए इस आयोजन में मुख्य अतिथि के तौर पर ग्वालियर चंबल संभाग के अतिरिक्त संचालक प्रोफेसर कुमार रत्नम, मुख्य संरक्षक डॉ. बी.पी. एस. जादौन शामिल हुए।

जबकि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एल. के. बौद्ध, आयोजक सचिव डॉ. मल्लिका गौर और सह सचिव डॉ. कपिल कुमार सिंह राघव मौजूद थे। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शंभुनाथ तिवारी मुख्य वक्ता, आई एन एम पी जी कॉलेज मेरठ की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दीप्ति कौशिक, समाज कार्य विभाग, सेंट जोसेफ यूनिवर्सिटी,नागालैंड की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अंजली अतिथि वक्ता, समाजशास्त्र विभाग पी. जी कॉलेज दतिया के विभागाध्यक्ष डॉ. वासुदेव जादौन विशिष्ट वक्ता के रूप में बेबिनार में शामिल हुए।

बेबिनार के दौरान कॉलेज प्राचार्य एल के बौद्ध ने मूल्य आधारित शिक्षा के महत्व को बताया। आयोजक सचिव डॉ मल्लिका गौर ने कहा कि मूल्य समाज के वो मानक हैं, जो एक व्यवस्थित समाजिक जीवन के लिए अति आवश्यक हैं। सह सचिव डॉ कपिल कुमार सिंह राघव ने कहा कि मूल्यहीन शिक्षा समाज को अंधकार की ओर ले जाती है। परिणामस्वरूप अनेक विकृतियों का जन्म होता है।

युवाओं में अपने बुजुर्गों के प्रति अनादर, नशा के प्रति आकर्षण, पर्यावरण के प्रति उदासीनता मानव जाति के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। डॉ. कमल प्रजापत,डॉ. ज्योति राजौरिया व देश के अलग अलग विश्वविद्यालय, महाविद्यालय से आए प्राध्यापकों व शोधकर्ताओं ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। बेबिनार का संचालन आकांक्षा साहू, ज्योति चौरसिया ने किया।

आयोजन समिति के सदस्य डॉ. ब्रजेश कुमार शर्मा, डॉ. दीपक भदकारिया के साथ साथ तकनीकी समिति के सदस्य शुभम खत्री, आकाश सविता, मनोज प्रजापति, अरविंद शर्मा, संतोष सविता ने तकनीकी जिम्मेदारी संभाली। बेबिनार के बाद इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. सचिन कुमार ने आभार प्रदर्शन किया।

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