भिण्ड:निजी तो छोडि़ए सरकारी भवनों में ही नही रेन वाटर हार्वेस्टिंग

-बर्बाद होता है लाखों लीटर पानी
– रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर प्रशासन व नपा का रवैया ढुलमुल
– भवन निर्माण से पहले नगर पालिका से अनुमति लेना अनिवार्य


भिण्ड। लगातार बढ़ती गर्मी के चलते ग्लोवल बििॉर्मंग का असर जहां पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है तो वहीं इससे भू जल स्तर में भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। स्थिति यह है कि जिले में ज्यादातर ब्लॉक में भूमिगत जल का स्तर 15 से 20 फीट नीचे चला गया है। ऐसे में बारिश के पानी का संरक्षण बेहद अहम हो गया है। लेकिन जिले में इसको लेकर प्रशासन और नगरीय निकाय ध्यान नही दे रहे हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा जल गंगा संवर्धन अभियान शुरु किया गया है। इसमें जल स्त्रोतों का संरक्षण और पुरानी जल संरचनाओं को पुनर्जीवित किए जाने पर कितना अमल होगा यह साफ दिख रहा है।

6 वर्ष पूर्व रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर जिला प्रशासन द्वारा मुहिम शुरु की थी। इस मुहिम के अंतर्गत सभी सरकारी भवनों में निर्माण शुरु किया गया था। तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर से वाटर हार्वेस्टिंग कराने शुरुआत की। सभी विभाग प्रमुखों को शासकीय भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग कराने को लेकर रुचि दिखाई थी। बाद में यह मुहिम गर्त में चली गई।

वर्तमान में ग्वालियर चंबल अंचल भू जल स्तर के तौर पर डार्क जोन में है, लेकिन इसके बाद भी यहां जल संचय को लेकर प्रयास शुरु नही किए गए। वर्तमान में प्रदेश सरकार एक बार फिर भूजल संरक्षण को लेकर सजग हुई है। जिसके लिए प्रदेश स्तर पर जल गंगा संवर्धन अभियान शुरु किया गया है। इसके तहत जल संरक्षण के लिए इनके स्त्रोत एवं पुरानी जल संरचनाओं को पुनर्जीवित किए जाने को लेकर जन जागरुकता अभियान शुरु किया है।

 

उल्लेखनीय है कि जिले में भू जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है, जिसका सबसे ज्यादा असर गोहद अनुविभाग में है। यहां प्रतिवर्ष जल स्तर नीचे जाने के कारण क्षेत्र में पेयजल संकट गहरा रहा है। नगर परिषद गोहद द्वारा टेंकर से कस्बे में पानी सप्लाई कराई जा रही है, लेकिन यह व्यवस्था नाकाफी है। लोगों को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने के नाम पर वाटर टेंकर सप्लाई में नपा द्वारा फर्जीवाड़ा किया जाता है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां भी बड़े पैमाने पर जल संरचनाऐं बंद होने की शिकायतें आ रही है। रौन, मेहगांव सहित भिण्ड ब्लॉक के कई ऐसे गांव हैं जहां ग्रामीणों को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध नही हो रहा है। मिहोना कस्बे के वार्ड 15 के 90 परिवार पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। एक मात्र हैण्डपंप सूखने के बाद यह समस्या और विकराल हो गई है।

 

हैंण्डपंप से नही निकल रहा पानी:

भू जल स्तर में गिरावट का असर जिला मुख्यालय पर भी सामने आ रहा है। नपा जल प्रदाय प्रकोष्ठ में प्रतिदिन हैण्डपंप से पानी न आने को लेकर एक दर्जन से ज्यादा शिकायत प्राप्त हो रही है। गर्मी के सीजन में यहां पानी का स्तर नीचे जाने से हैण्डपंप सूख रहे हैं, जिन्हें दुरुस्त करते हुए इनमें पाईप की संख्या बढ़ाई जाती है। इसके साथ ही मई जून महीने में स्कीम बोर से भी पानी सप्लाई नियमित रुप से नही होने से आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

 

बर्बाद हो रहा लाखों लीटर पानी:

शहर में जल संरक्षण को लेकर नगर पालिका और प्रशासन कितना सतर्क है इसकी नजीर जगह जगह संचालित हो रहे कार वॉश सेंटर पर देखा जा सकता है। जहां दिन भर हजारों लीटर पानी वाहन धुलाई के नाम पर बर्बाद हो रहा है। पूर्व में गर्मी के सीजन में प्रशासन द्वारा इन सेंटरों पर प्रतिबंध लगाते हुए आदेश जारी किए जाते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों से इस ओर ध्यान न दिए जाने से यहां वाहन धोने के नाम पर लाखों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है। खास बात यह है कि इन कार वॉस सेंटर द्वारा संचालन के लिए नपा या प्रशासन से कोई परमीशन भी नही ली जाती है।

 

क्या है सरकारी नियम:

मप्र में रेन वाटर हार्वेटिंग को लेकर सरकार द्वारा सभी सरकारी भवनों में रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए जाने के आदेश दिए गए थे। जिसमें 15 हजार वर्ग फीट या उससे अधिक के भवनों में 6 मीटर चौड़ा और 15 फीट गहरा पिट बनाना जरुरी है। इसके साथ ही नपा में भवन निर्माण की परमीशन लेते हुए 15 हजार रुपए सिक्योरिटी डिपोजिट कराए जाने का नियम है, जिसमें पिट बनने के बाद विभाग द्वारा एनओसी मिलने पर यह डिपोजिट वापस किया जाता है। नियम का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाए जाने का भी प्रावधान है। इंदौर नगर निगम द्वारा इस दिशा में सख्ती बरती गई तो 16 हजार मल्टी स्टोरी भवन व अन्य मकानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए गए।

इनका कहना है:
– भू जल संरक्षण को लेकर जागरुकता बेहद जरुरी है। इसको लेकर 5 से 16 जून तक अभियान चलाया जाएगा। आम जनता को भी इसके लिए जागरुक करेंगे। रेन वाटर हार्वेस्टिंग बेहद जरुरी है, जिसके लिए प्लान तैयार कर इसे अमल में लाया जाएगा।
यशवंत वर्मा, मुख्य नगर पालिका अधिकारी

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