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यात्रा ओलंपिक की (किश्त-9)
-17 सप्ताह 17 किश्त
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मैराथन के युद्ध में यूनानी जीत की खबर देने के लिए फिडीपिडीज़ के मैराथन से एथेंस तक दौड़ कर पहुँचने की याद में ओलंपिक खेलों में इस स्पर्धा को जोड़ा गया।
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पुरुष मैराथन तो पहले आयोजन से ही खेलों की पहचान थी पर महिलाओं को इसके लिए 88 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा।
42 किलोमीटर की मैराथन दौड़ हमेशा से ही ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों का मुख्य आकर्षण रही है। वास्तव में आधुनिक मैराथन ने ओलंपिक खेलों से ही शुरु होकर इन्हीं आयोजनों में परिष्कृत हो कर अपना आज का स्वरूप पाया है। ओलंपिक के मल्टी स्पोर्ट आयोजन में यह एकमात्र स्पर्धा है, जो रोड पर दौड़ी जाती है।
पुरुष मैराथन आधुनिक ओलंपिक की शरुआत से ही खेलों का अभिन्न अंग है। 1896 के पहले आयोजन में मैराथन दौड़ के आयोजन का विचार ओलंपिक के जनक पियरे द कुबर्तिन को फ्रेंच भाषा विज्ञानी मिशेल ब्रिएल ने सुझाया था। किंबदंती के अनुसार 490 ईसा पूर्व में यूनान पर पहले फारसी आक्रमण के दौरान मैराथन के युद्ध में यूनानी जीत की खबर देने के लिए फिडीपिडीज़ के मैराथन से एथेंस तक दौड़ कर पहुँचने की याद में ओलंपिक खेलों में इस स्पर्धा को जोड़ा गया। 10 अप्रैल 1896 को यह दौड़ मैराथन से शुरु हो कर 25 मील दूर एथेंस के पेनाथेनिक स्टेडियम में समाप्त हुई थी। स्पीरिडॉन लुइस नाम के एक यूनानी भिश्ती ने 2 धंटे 58 मिनट 50 सेकंड में इस दूरी को तय कर स्वर्ण पदक जीता था। 2004 में जब एथेंस में ओलंपिक की वापसी हुई तब भी दौड़ का मार्ग यही रखा गया था।
प्रारंभिक वर्षों में दौड़ की दूरी 25 से 26 मील अर्थात 40 से 42 कि.मी. के मध्य सुविधानुसार तय कर ली जाती थी। 1908 में पहली बार इसको 42195 मीटर की वर्तमान दूरी तक दौड़ा गया। 1924 के पेरिस खेलों में इस दूरी को मानक स्वीकार कर भविष्य के लिए निर्धारित कर दिया गया। ओलंपिक मैराथन की लोकप्रियता से प्रभावित हो कर पश्चिमी दुनिया में कई लंबी दूरी की वार्षिक स्पर्धायें शुरु हुईं, जिनमें 1897 में बोस्टन मैराथन, 1902 में पेरिस मैराथन, 1907 में न्यूयॉर्क मैराथन और 1909 में लंदन मैराथन प्रमुख हैं। बीसवीं सदी में ओलंपिक और उसके बाहर मैराथन आंदोलन खूब फलाफूला, आज अमरीका में हर राज्य की अपनी एक वार्षिक मैराथन दौड़ है।
पुरुष मैराथन तो पहले आयोजन से ही खेलों की पहचान थी पर महिलाओं को इसके लिए 88 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। तब जा कर 1984 के लॉस एंजलिस खेलों में इस स्पर्धा को जोड़ा गया। तर्क यह था कि महिलायें इतनी लंबी दूरी तक दौड़ नहीं सकती, किंतु अमरीका की जोन बेनॉइट ने 2 धंटे 24 मिनट 52 सेकंड में इस दूरी को तय कर स्वर्ण पदक जीत कर विरोधियों और आलोचकों को करारा जवाब दिया। तब से महिला मैराथन ओलंपिक का अभिन्न अंग है।
अब यह एक परंपरा बन गई है कि, पुरुष मैराथन ओलंपिक खेलों की अंतिम स्पर्धा होती है, जो आखिरी दिन आयोजित होती है। 1964 से यह लगातार मुख्य स्टेडियम में समाप्त होती रही है, किंतु 2004 में एथेंस के पेनाथेनिक स्टेडियम में, 2012 में लंदन के मॉल में तथा 2016 में रियो में कार्निवल के परेड क्षेत्र में इसका समापन हुआ। 2020 टोक्यो खेलों में गर्मी के कारण इसका आयोजन सपोरो में किया गया था। 2024 के पेरिस खेलों में स्त्री-पुरुष समानता और महिला अधिकारों के समर्थन में महिला मैराथन, आखिरी दिन आयोजित होने वाली ओलंपिक खेलों की अंतिम स्पर्धा होगी। पुरुष मैराथन एक दिन पूर्व आयोजित होगी।
लंबी दूरी की स्पर्धाओं में अफ्रीकी धावकों का दबदबा रिकार्ड्स को देखने से स्पष्ट होता है। पुरुषों का ओलंपिक रिकार्ड 2 घंटा 6 मिनट 32 सेकंड कीनिया के सैम्युल वान्जीरु के नाम है तो महिला वर्ग में इथेपिया की टिकी गेलेना का रिकार्ड समय 2 घंटा 23 मिनट 7 सेकंड है। इथेपिया के पास सर्वाधिक 6 स्वर्ण पदक हैं, 4 पुरुष व 2 महिला, वहीं कीनिया के घावकों ने सबसे ज्यादा 15 पदक जीते हैं, पुरुषों ने 8 व महिलाओं ने 7। इथेपिया के महान धावक एबेबे बिकीला, पूर्वी जर्मनी के वाल्डेमर किरपींसकी और कीनिया के इलुइड किपचोगे के नाम 2-2 स्वर्ण पदक हैं। पुरुष अथवा महिला कोई भी धावक आज तक दो से अधिक पदक जीतने में कामयाब नहीं हो सका है। इस साल भी दोनों वर्गाें में अफ्रीकी धावकों से जलवा बिखेरने की पूरी उम्मीद है।
2024 के ओलंपिक खेलों में पहली बार शौकिया एथलीटों के लिए एक मास मैराथन का आयोजन मुख्य इवेंट वाले दिन ही होगा। पब्लिक मैराथन एक ही समय में एलिट प्रतियोगिता के साथ शुरू नहीं होगी, परंतु शौकिया एथलीट भी उसी रास्ते पर और ओलंपिक आयोजन के समान परिस्थितियों में ही दौड़ेंगे।
लेखक परिचय
नाम: डॉ. शालीन शर्मा
संप्रति: खेल पत्रकारिता के साथ करियर की शुरुआत करने के बाद शासकीय सेवा में गए। वर्तमान में सहायक संचालक के पद पर पदस्थ हैं। इसके साथ ही शौकिया तौर पर द ग्रिप न्यूज के लिए खेलों से संबंधित आलेख लिख रहे हैं।