-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य भारत प्रांत की दो दिवसीय बैठक शारदा विहार में संपन्न
भोपाल। प्रांत संघचालक अशोक पांडेय ने संघ की स्थापना से वर्तमान तक की परिस्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ चाहता है कि भारत विश्व में सर्वोत्कृष्ट बने। स्थापना के समय संघ के लिए अनुकूलता नहीं थी फिर भी पूरे देश में प्रसार किया। भारत की स्वाधीनता के लिए संघ ने सतत संघर्ष किया। सभी प्रतिकूलताओं के बावजूद संघ समाज जागरण के काम में लगा रहा। सतत समाज परिवर्तन के लिए संघ लगातार काम कर रहा है।
दो दिन से चल रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक प्रांत बैठक 16 जून को संपन्न हो गई। बैठक में मध्यभारत प्रांत के 31 जिलों की टोली एवं प्रांत के सभी आठों विभागों की कार्यकारणी ने भाग लिया। बैठक का आरंभ 15 जून को सुबह 9 बजे प्रांत के संघचालक अशोक पांडेय और प्रांत कार्यवाह हेमंत सेठिया ने भारत माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन करके किया। कुल 10 सत्रों में बैठक संपन्न हुई। इस दौरान विभिन्न कार्यों के विषय में पूछताछ एवं बातचीत हुई। इन सत्रों में कार्यकर्ताओं ने अपने अनुभवों का उल्लेख किया, जिलों द्वारा विशेष उल्लेखनीय कार्यों का वृत्त प्रस्तुत किया गया।
प्रांत कार्यवाह ने प्रस्तुत किया प्रतिवेदन
प्रांत कार्यवाह हेमंत सेठिया में वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इसमें संघ के विस्तार, शाखाओं की स्थिति एवं प्रशिक्षण के विवरण प्रस्तुत किए। सेठिया ने बताया कि 2023 में 2530 शाखाओं से बढ़कर 2024 में 3072 शाखाएं हो गई हैं। मध्यभारत प्रांत में कुल 1814 मंडल हैं। संघ कार्ययुक्त मंडल 1544 हो गए हैं। मध्यभारत प्रांत में 92 पूर्ण मंडल हैं, जिसका अर्थ है कि 92 मंडलों के प्रत्येक ग्राम में शाखा है। इसी प्रकार प्रांत में 52 पूर्ण खंड हैं, जिनके प्रत्येक मंडल में संघ की शाखा है।
बीते वर्ष लगे 31 प्राथमिक वर्ग
सेठिया ने बताया कि प्रांत में पिछले वर्ष 31 प्राथमिक वर्ग संपन्न हुए थे, जिनमें 3051 लोग प्रशिक्षित हुए। इस वर्ष प्रांत में 41 प्राथमिक वर्ग लगे, जिसमें 3484 लोग प्रशिक्षित हुए। इसी प्रकार घोष प्रशिक्षण वर्ग भी 11 जिलों में लगे, जिनमें 600 घोष वादक प्रशिक्षित हुए। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी प्रांत में दो संघ शिक्षा वर्ग लगे। विद्यार्थी संघ शिक्षा वर्ग राजगढ़ के जीरापुर में विद्यार्थियों एवं तरुण व्यवसायियों का वर्ग इटारसी में लगा। इन वर्गों में 633 शिक्षार्थी रहे। प्रांत का घोष वर्ग पिपरिया के बनखेड़ी में लगा, जिसमें पूरे प्रांत से 115 घोषवादकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।
भारत को परम वैभव पर पहुंचाना ही लक्ष्य
समापन सत्र में मंच पर प्रांत के संघचालक अशोक पांडेय एवं अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख दीपक विस्पुते मौजूद रहे। समापन उद्बोधन में विस्पुते ने कहा कि संघ के काम को 100 वर्ष पूरे होने वाले हैं। हम पहले दिन से एक विचार को लेकर चले हैं। जो हमारे संस्थापक डॉक्टर जी ने बताया था, हम उस पर अडिग हैं। हमारा पहले दिन से भारत को परम वैभव पर पहुंचाना ही लक्ष्य है। हम उसी के लिए अपनी कार्य पद्धति से काम कर रहे हैं। अंग्रेजों का अत्याचार भी हमें हमारा काम करने से रोक नहीं पाया। इतने विरोधों के बाद भी संघ बना रहा। आज हमारा कार्य यशस्वी हो रहा है। हम सनातन वैचारिक अधिष्ठान के लिए काम कर रहे हैं। श्री अरविंद, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर और विवेकानंद जी ने जो दर्शन बताया डॉक्टर हेडगेवार ने उसे मूलमंत्र बनाया।
स्वयंसेवक न थकेगा, न बिकेगा, न रुकेगा
विस्पुते ने कहा कि हमारे संघ का कार्यकर्ता न थकने वाला, न रुकने वाला और न बिकने वाला है। हमारे काम का परिणाम हुआ कि समाज में एक राष्ट्रीय भाव खड़ा हुआ है। समाज में सेवा भाव का जागरण हुआ है। पंचपरिवर्तन की बात करते हुए उन्होंने कहा कि समरसता के लिए समाज में अभी भी काम करने की आवश्यकता है। हमारा समाज, हमारा घर समरस बने इसके लिए काम करें। पर्यावरण के लिए काम करें। हिंदू समाज के परिवार संस्कारी बनें, कुटुम्ब प्रबोधन का काम करें। हमारा समाज नागरिक शिष्टाचार का पालन करें, इसके लिए हम प्रयत्न करें। समाज के मन में स्व का जागरण हो स्वदेशी का पालन हो। हम सब इस पंच परिवर्तन के काम में लगें यही शताब्दी वर्ष के कार्य है।