– सीएमओ बोले विधानसभा जबाब में निर्देश पर लेंगे एक्शन
-मामला गोहद नगर पालिका में फर्जी एफडीआर का, दोषियों पर कार्रवाई से बच रहे अधिकारी
भिण्ड/ गोहद। स्ट्रीट लाइट लगाने के टेण्डर में फर्जी एफडीआर लगा कर कार्य स्वीकृत होने के बाद ठेकेदार कंपनी द्वारा शुरुआती कार्य कर दिया गया, लेकिन इसी बीच कार्य स्वीकृति के लिए फर्जी एफडीआर लगाने के मामले का खुलासा हो गया। जिसके बाद दोषियों पर कार्रवाई की बात कहते हुए कार्य रोक दिया गया। लेकिन चार वर्ष गुजरने के बाद अभी तक यह मामला ठण्डे बस्ते में पड़ा हुआ है। गोहद नगर पालिका में हुए इस घोटाले को लेकर मुख्य नगर पालिका अधिकारी अभी तक फर्जीवाड़ा करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कोई एक्शन न लेते हुए मामले में विधानसभा स्तर से निर्देश मिलने पर कार्रवाई की बात कह कर पल्ला झाड़ रहे हैं।
गोहद नगर में अटल चौक से सीएम राइज स्कूल के बीच सड़क पर बना गए डिवायडर पर स्ट्रीट लाइटिंग कार्य के लिए परिषद द्वारा अनुमोदन कर स्वीकृति दी गई थी। लगभग 27 लाख के इस नवीन कार्य के लिए नपा द्वारा टेण्डर जारी किए गए, जिसमें विभिन्न फर्मों द्वारा टेण्डर लेने के लिए आवेदन किया गया। विभाग में आए इन टेण्डरों में सबसे न्यूनतम दर वाली फर्म इंद्रलोक कंस्ट्रक्शन कंपनी को काम स्वीकृत कर दिया गया। जिसके बाद संबंधित एजेंसी द्वारा इसका निर्माण कार्य शुरु कर दिया। इसी बीच उक्त कार्य के लिए टेण्डर लेने में लगाई गई एफडीआर पूरी तरह से फर्जी बना कर लगाई गई थी। इस खुलासे के बाद नपा प्रबंधन सहित तत्कालीन सीएम सकते में आ गया और आनन फानन में किए गए निर्माण कार्य का भुगतान रोक दिया।
इसके साथ ही विभागीय स्तर पर खानापूर्ती करते हुए इंद्रलोक कंस्ट्रक्शन कंपनी को नोटिस जारी किया गया। लेकिन इसी बीच विभाग में विभिन्न निर्माण कार्यों की स्वीकृति के लिए लगाई गई एफडीआर की जांच की गई तो बड़े स्तर पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। गोहद नपा में इस तरह कुल 75.50 लाख की फर्जी एफडीआर लगाया जाना सामने आया, जिसमें कुल 19 फर्जी एफडीआर पकड़ में आई। इनमें इंद्रलोक कंस्ट्रक्शन कंपनी की ही कुल 16 फर्जी एफडीआर लगाई गई थी, शेष तीन फर्म द्वारा कार्य पूर्ण करते हुए भुगतान भी ले लिया गया था। शासन के साथ बड़े पैमाने पर किए गए फर्जीवाड़ा के मामले में कलेक्टर भिण्ड द्वारा तत्काल एक्शन लेने के लिए 24 नवंबर 2022 में नपा सीएमओ को कार्रवाई एवं एफआईआर कराने के लिए पत्र लिखा, तो वहीं 20 दिसंबर को प्रकरण में एसडीएम गोहद को जांच के आदेश दिए।
हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला:
बता दें के नपा में लाखों की फर्जी एफडीआर के खुलासे के बाद यह मामला हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ तक पहुंच गया। जिसमें अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक खेडकर ने दोषी ठेकेदारों सहित तत्काली नपा सीएमओ सुरेन्द्र शर्मा के खिलाफ एफआईआर की सलाह शासन को दी। लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में लीपापोती कर बचते रहे। इस बीच प्रकरण को लेकर न्यायालय द्वारा मांगी गई जानकारी भी विभागीय स्तर पर नही भेजी गई।
विभाग से विधानसभा तक पहुंचा प्रकरण:
नपा गोहद में कार्य के लिए फर्जी एफडीआर लगाने का यह मामला नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव तक पहुंच गया। जिसमें स्थानीय अधिकारियों द्वारा गैरजिम्मेदारी निभाने लेकर उनके द्वारा जांच और कार्रवाई में ढील दिए जाने की बात सामने आई। इसके अलावा इस प्रकरण को लेकर गोहद से कांग्रेस विधायक केशव देसाई द्वारा भी विधान सभा में प्रश्र लगाते हुए नगरीय प्रशासन मंत्री से संबंधित फर्म के खिलाफ की गई कार्रवाई किए जाने के संबंध में जबाब मांगा गया है। इस मामले में फिलहाल नपा द्वारा विधानसभा के प्रश्र का जबाब भेजा जा रहा है।
इनका कहना है:
गोहद नपा में फर्जी एफडीआर के प्रकरण में न्यायालय और विभागीय स्तर पर जानकारी भेज दी गई है। इसके साथ ही विधानसभा में पूछे गए प्रश्र का जबाब भेजा जा रहा है। मामले में वरिष्ठ अधिकारी व विधानसभा से जो भी निर्देश मिलेंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
प्रीतम मांझी, मुख्य नगर पालिका अधिकारी गोहद