Olympic Legends : सर्वकालिक महानतम ओलंपिक एथलीट्स

  • यात्रा ओलंपिक की (किश्त-15)

    -17 सप्ताह 17 किश्त

एथलेटिक उपलब्धियों का शिखर माने जाने वाले इस आयोजन में हर बार लीजेंड जन्म लेते हैं

  • कुछ खिलाड़ी  ओलंपिक इतिहास में अमिट छाप छोड़ते हैं

  • आने वाली पीढ़ियों के लिऐ प्रेरणास्रोत बनते हैं

ओलंपिक खेल हमेशा से ही खेल कौशल की चरम सीमा रहे हैं, जहां दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली एथलीट अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हैं। एथलेटिक उपलब्धियों का शिखर माने जाने वाले इस आयोजन में हर बार लीजेंड जन्म लेते हैं, लेकिन कुछ खिलाड़ी अपने समय से भी आगे निकल जाते हैं और ओलंपिक इतिहास में अमिट छाप छोड़ते हैं। बीते वर्षों के दौरान, कई ओलंपियनों ने असाधारण प्रदर्शन और अतुलनीय समर्पण के साथ इतिहास में अपना नाम दर्ज किया है। ऐसे ही कुछ महानतम ओलंपिक एथलीट्स, जिन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर मानवीय क्षमता की सीमाओं को फिर से परिभाषित किया है, का परिचय इस प्रकार है –

माइकल फेल्प्स

पूल के निर्विवाद सम्राट माइकल फेल्प्स का नाम लिए बिना ओलंपिक महानता की कोई चर्चा पूरी नहीं होती। अमेरिकी तैराक ओलंपिक इतिहास में सबसे अधिक पदक जीतने वाले एथलीट हैं, उनके पास 23 स्वर्ण सहित कुल 28 पदक जीतने का अद्भुत रिकॉर्ड है। फेल्प्स का दबदबा 2004 से 2016 तक चार ओलंपिक खेलों में रहा। बटरफ्लाई, फ्रीस्टाइल, और व्यक्तिगत मेडले इवेंट्स में उनकी बहुमुखी प्रतिभा उन्हें सबसे अलग एक वैश्विक आइकॉन बनाती है और तैराकी तकनीक को फिर से परिभाषित करती है। बीजिंग 2008 में उनके 8 स्वर्ण पदक एकल ओलंपिक में एक रिकॉर्ड है जो शायद कभी नहीं टूटेगा।

लारिसा लैटिनिना

सोवियत जिम्नास्ट लारिसा लैटिनिना ने दशकों तक सबसे अधिक ओलंपिक पदकों का रिकॉर्ड बनाए रखा, इससे पहले कि फेल्प्स ने उन्हें पार किया। वे आज भी सर्वाधिक पदक प्राप्त करने वाली महिला ओलंपियन हैं। 1956, 1960, और 1964 के ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करते हुए, लैटिनिना ने 18 पदक जीते, जिनमें 9 स्वर्ण शामिल थे। उन्होंने असमान्तर बार की स्पर्धा में अपना दबदबा बनाया।
उनके कौशल, सुंदर ढंग, ताकत, लचीलेपन और निरंतरता ने जिम्नास्टिक को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया और वैश्विक मान्यता और लोकप्रियता दिलाई।

पावो नूरमी

‘फ्लाइंग फिन’ के नाम से मशहूर पावो नूरमी ने 20वीं सदी के शुरुआती दौर में मध्यम और लंबी दूरी की दौड़ में अपना प्रभुत्व कायम किया। उनके पास एथलेटिक्स में सबसे अधिक 9 व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने का रिकॉर्ड है। 1920, 1924, और 1928 के ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करते हुए, नूरमी ने कुल 9 स्वर्ण और 3 रजत पदक जीते। उनकी रणनीतिक दृष्टिकोण और सहनशक्ति ने उन्हें लंबी दूरी की दौड़ में अग्रणी बनाया। उनकी अथक प्रशिक्षण विधियां और प्रतिस्पर्धात्मक भावना अत्यंत प्रेरणादायक थीं।

उसेन बोल्ट

‘लाइटनिंग बोल्ट’ के नाम से प्रसिद्ध, जमैका के धावक उसेन बोल्ट, दुनिया के सबसे तेज़ इंसान के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी अविश्वसनीय गति और शानदार प्रदर्शन के साथ ट्रैक को रोमांचित कर स्प्रिंटिंग में क्रांति ला दी। बोल्ट ने 8 ओलंपिक स्वर्ण पदक अपने नाम किए हैं। 2008, 2012, 2016 के तीन लगातार खेलों में 100 मीटर और 200 मीटर खिताब जीते। 100 मीटर में उनका विश्व रिकॉर्ड 9.58 सेकंड और 200 मीटर में 19.19 सेकंड उनके अतुलनीय एथलेटिक कौशल का प्रमाण है। उनके दबदबे और आकर्षक व्यक्तित्व ने उन्हें अब तक के सबसे पहचाने जाने वाले एथलीटों में से एक बना दिया है।

कार्ल लुईस

‘किंग कार्ल’ के उपनाम से विख्यात अमेरिकी ट्रैक और फील्ड दिग्गज कार्ल लुईस सबसे महान ओलंपियनों में से एक हैं, जिनके पास 9 स्वर्ण और 1 रजत पदक हैं। 1984 से 1996 तक चार लगातार ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करते हुए, लुईस ने स्प्रिंट और लंबी कूद में उत्कृष्टता प्राप्त की। खेल लंबी कूद, और दौड़ प्रतियोगिताओं में उनके नौ स्वर्ण पदक उनकी अविश्वसनीय बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाते हैं। वह लगातार चार ओलंपिक (1984-1996) में लंबी कूद का स्वर्ण पदक जीतने वाले एकमात्र एथलीट हैं। उनकी अद्वितीय निरंतरता और लंबे समय तक शिखर पर रहना, उन्हें सच्चा लीजेंड बनाता है।

जेसी ओवेन्स

1936 बर्लिन ओलंपिक में अफ्रीकी अमेरिकी ट्रैक और फील्ड एथलीट जेसी ओवेन्स का प्रदर्शन खेल इतिहास के सबसे प्रतिष्ठित क्षणों में से एक है। बर्लिन में ओवेंस द्वारा जीते गए चार स्वर्ण पदकों का बहुत महत्व था, उन्होंने एडोल्फ हिटलर के आर्य वर्चस्व और नाजी विचारधारा के प्रचार के लिए खेलों का उपयोग करने के प्रयासों को विफल कर दिया था। उन्होंने 100 मीटर, 200 मीटर, लंबी कूद, और 4 गुणा 100 मीटर रिले में चार स्वर्ण पदक जीते। उनकी जीत आज भी पूर्वाग्रह पर एथलेटिक जीत का एक शक्तिशाली प्रतीक बनी हुई है। ओवेन्स की उपलब्धियाँ खेल से परे जाकर समानता और मानव गरिमा का प्रतीक बनीं।

नादिया कोमानेची

1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक में, 14 वर्षीय रोमानियाई जिम्नास्ट नादिया कोमानेची ने ओलंपिक जिमनास्टिक इतिहास में पहला पूर्ण 10.0 स्कोर करके दुनिया को स्तब्ध कर दिया था। उन्होंने उन खेलों में तीन स्वर्ण पदक जीते और 1980 में दो और जोड़े। उनकी शानदार कलात्मकता और बेजोड़ तकनीक ने इस खेल के स्कोरिंग सिस्टम को फिर से परिभाषित किया। कोमानेची के निर्दाेष रूटीन और युवा उत्साह ने जिम्नास्टिक में क्रांति ला दी और पीढ़ियों के एथलीटों को प्रेरित किया।

निकोलाई एंड्रियानोव

सोवियत व रूसी जिमनास्ट निकोलाई एंड्रियानोव, माइकल फेल्प्स से पहले पुरुषों में सबसे अधिक ओलंपिक पदक के रिकॉर्डधारी थे। उन्होंने 7 स्वर्ण, 5 रजत व 3 कांस्य सहित कुल 15 पदक जीते थे। फेल्प्स के 28 और लारिसा लैटिनिना के 18 पदकों के बाद एंड्रियानोव कुल ओलंपिक पदक जीतने वाले तीसरे एथलीट हैं। एंड्रियानोव ने 1976 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में 6 व्यक्तिगत पदक और एक टीम पदक के साथ सबसे अधिक पदक जीते थे। पुरुषों की कलात्मक जिमनास्टिक स्पर्धा के अंतर्गत, उन्होंने 12 व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने का पुरुषों का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है।

मार्क स्पिट्ज

1972 के ओलंपिक में महान अमरीकी तैराक मार्क स्पिट्ज का रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन इतिहास में दर्ज है। उन्होंने सभी व्यक्तिगत स्पर्धाओं में सात स्वर्ण पदक जीते और साथ ही साथ सात विश्व रिकॉर्ड भी बनाए। उनकी उपलब्धियों ने तैराकों की एक पीढ़ी को प्रेरित किया और प्रशिक्षण विधियों को फिर से परिभाषित किया।

ब्रिगेट फिशर

जर्मनी की महिला कैयकर ब्रिगेट फिशर ने रिकॉर्ड छः अलग-अलग ओलंपिक खेलों में आठ स्वर्ण पदक जीते हैं। वे 18 वर्ष की उम्र में सबसे युवा और 42 वर्ष में सबसे उम्रदराज ओलंपिक कैनोइंग चौंपियन दोनों रही हैं।

अलदार गेरेविच

हंगरी के फेंसर अलदार गेरेविच, जिन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ ओलंपिक तलवारबाज’ माना जाता है, ने छः अलग-अलग ओलंपिक खेलों में सेबर स्पर्धा में सात स्वर्ण पदक जीते। गेरेविच केवल दो एथलीटों में से एक हैं जिन्होंने छह बार एक ही स्पर्धा जीती है। उन्होंने अपने पहले और आखिरी स्वर्ण पदक 1932 और 1960 में जीते, जिनमें कि एक अभूतपूर्व 28 साल का अंतराल था।

इज़ाबेल वेर्थ

जर्मन घुड़सवार और ड्रेसाज विश्व चैंपियन इज़ाबेल वेर्थ ने छह बार (1992, 1996, 2000, 2008, 2016, 2020) ओलंपिक खेलों में भाग लिया और बारह पदक जीते, जिनमें से सात स्वर्ण पदक हैं। उनके नाम किसी भी घुड़सवार एथलीट द्वारा जीते गए सर्वाधिक ओलंपिक पदकों का रिकॉर्ड है।

रेमंड इवरी

अमेरिकी ट्रैक और फील्ड एथलीट रेमंड इवरी ने 1900 से 1908 के बीत तीन ओलंपिक खेलों में आठ व्यकितगत स्वर्ण पदक जीते थे। अपने बचपन पोलियो से ग्रसित रहे इवरी अब तक के सबसे सफल ओलंपियनों में शुमार हैं।

फैनी ब्लैंकर्स-कोएन

नीदरलैंड की महान ट्रैक एंड फील्ड एथलीट फैनी ब्लैंकर्स-कोएन को 1948 के लंदन ओलंपिक खेलों में चार स्वर्ण पदक जीतने के लिए जाना जाता है। उन्होंने 30 साल की उम्र में दो बच्चों की माँ के रूप में प्रतिस्पर्धा की, जिससे उन्हें ‘द फ्लाइंग हाउसवाइफ’ उपनाम मिला। वह उस प्रतियोगिता में सबसे सफल एथलीट रहीं। लगभग तीन माह की गर्भवती फैनी ब्लैंकर्स-कोएन ने 1948 के ओलंपिक में नौ में से चार महिला स्पर्धाएं जीतीं, आठ दिनों में ग्यारह हीट और फाइनल में भाग लिया। वह चार ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला थीं, और उन्होंने यह उपलब्धि एक ही ओलंपिक में हासिल की। वह और भी अधिक पदक जीत सकती थीं, अगर ओलंपिक नियमों द्वारा उन्हें केवल तीन व्यक्तिगत दौड़ों और स्प्रिंट रिले में भाग लेने तक सीमित नहीं किया जाता। वे आज भी इतिहास की महानतम ओलंपियनों में से एक मानी जाती हैं। उनकी ओलंपिक जीत को इस धारणा को खत्म करने में मदद करने का श्रेय दिया जाता है कि उम्र और मातृत्व महिलाओं के लिए खेलों में सफलता के लिए बाधाएँ हैं।

विल्मा रुडोल्फ

विपरीत परिस्थितियों से जूझने वाले एथलीटों के लिए एक प्रेरणा, विल्मा रुडोल्फ ने बचपन में पोलियो को मात दी थी। उन्होंने 1960 के रोम ओलंपिक में स्प्रिंटिंग स्पर्धाओं में तीन स्वर्ण पदक जीते, जो उनके दृढ़ संकल्प और जुझारूपन का प्रमाण है। रूडोल्फ को 1960 के दशक में दुनिया की सबसे तेज महिला माना गया।


ये अनगिनत एथलीटों में से कुछ ही हैं जिन्होंने ओलंपिक इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है. उनका समर्पण, प्रतिभा, असाधारण उपलब्धियाँ और अडिग भावना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती है और मानवीय क्षमता की सीमाओं को आगे बढ़ाती है। ओलंपिक खेल इन अविश्वसनीय व्यक्तियों के लिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जो अपने पीछे एथलेटिक उत्कृष्टता की विरासत छोड़ते हैं जो आने वाली पीढ़ियों के लिऐ प्रेरणास्रोत हैं। इनके समर्पण, दृढ़ता और उत्कृष्टता की कहानियाँ भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी तथा ओलंपिक भावना और महानता की खोज को जीवित रखेंगी।

लेखक परिचय
नाम: डॉ. शालीन शर्मा


संप्रति: खेल पत्रकारिता के साथ करियर की शुरुआत करने के बाद शासकीय सेवा में गए। वर्तमान में सहायक संचालक के पद पर पदस्थ हैं। इसके साथ ही शौकिया तौर पर द ग्रिप न्यूज के लिए खेलों से संबंधित आलेख लिख रहे हैं।

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