-चौहान प्याऊ के आसपास की भूमि को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दी शासन को राहत
ग्वालियर। गांधी रोड पर चौहान प्याऊ के आसपास की 2.894 हेक्टेयर (लगभग 13 बीघा) भूमि के सरकारी होने का रास्ता खुल गया है। 1 अरब 70 करोड़ रुपए बाजार मूल्य की इस भूमि पर किए जा रहे दावे को कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। चौहान प्याऊ से इंदिरानगर एवं द्वारकाधीश मंदिर की ओर मौजूद इस बेशकीमती भूमि पर वर्तमान में स्कूल, मैरिज गार्डन आदि बने हैं।
दरअसल, सेवानिवृत आर्मी कर्मी अमर सिंह जाहर (अब मृतक) ने मेहरा गांव के अलग-अलग सर्वे नंबर में आने वाली भूमि पर मालिकाना हक जताया था। इस मामले में अलग-अलग न्यायालय में सुनवाई हुई। न्यायालय ने अमर सिंह के पक्ष को सही न मानकर शासन के हित में निर्णय दिए थे। 27 फरवरी 2024 को 3120 दिन (लगभग 9 वर्ष) को हाईकोर्ट ने डिले कंडोन किया था। इसके विरुद्ध अमरसिंह वारिसों में शामिल भगवती बाई, नरेन्द्र सिंह, महेन्द्र सिंह ,सुरेन्द्र सिंह, वीरेन्द्र सिंह, देवेन्द्र, राजेन्द्र सिंह, मीरा आदि ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी स्पेशल लीव (सी) नंबर 9582/20224 दायर की।
इस अपील में प्रदेश सरकार के पक्ष में जा रहे निर्णय को विलंब आधार पर निरस्त किए जाने का अनुरोध किया था। मामले में कलेक्टर को पार्टी बनाया गया। एसडीएम विनोद सिंह और आरआई होतम सिंह यादव ने शासन के पक्ष में पूरा ड्राफ्ट तैयार करके दिया। स्टेंडिंग काउंसल फॉर स्टेट ऑफ मध्यप्रदेश एश्वर्या भाटी एवं शरद कुमार सिंघानिया ने सुप्रीम कोर्ट के सामने तर्क प्रस्तुत किए। सर्वोच्च न्यायालय को बताया गया कि प्रश्राधीन भूमि का पट्टा राजस्व विभाग से जारी नहीं हुआ।
आर्मी को पट्टा देने का अधिकार नहीं है। यह भूमि बेहद महत्वपूर्ण एवं बेशकीमती है, जिसका बचाव किया जाना आवश्यक है। शासन के हित में दी गई दलीलों को मानकर उच्चतम न्यायालय ने प्रकरण को मेरिट में रख सुनवाई का निर्णय दिया गया है। विलंब क्षमा किए जाने के बाद अब शासन को पुराने निर्णयों केे आधार बनाकर कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखने का मौका मिलेगा।
इन सर्वे नंबरों पर है भूमि
ग्राम मेहरा के सर्वे 137 में 1670 वर्गमीटर, सर्वे 138 में 1370 वर्गमीटर, सर्वे 139 में 1250 वर्गमीटर, सर्वे 140 में 730 वर्गमीटर, सर्वे 141 में 2510 वर्गमीटर, सर्वे 142 में 1870 वर्गमीटर, सर्वे 143 में 5330 वर्गमीटर, सर्वे 292, 293, 294, 295 में 14210 वर्गमीटर मिलाकर 28940 वर्गमीटर (2.894 हेक्टेयर) रकवा है। कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार वर्तमान में इस भूमि का मूल्य एक अरब सैंतीस करोड़ छियालीस लाख पचास हजार रुपए है।
वर्सन
-शासकीय भूमि में शासन का पक्ष प्रभावी रूप से रखने के लिए सतत प्रयास कर रही है। आगे भी इसको लेकर प्रयास जारी रखेंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने शासन के पक्ष को ध्यान पूर्वक सुना है।
रुचिका चौहान, कलेक्टर