-प्राकृतिक कृषि उत्पाद के लिए आदर्श जिले और विकासखंड किए जाएं विकसित
ग्वालियर। जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है, अच्छी खबर ये है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जैविक खेती करने वाले किसानों को सोलर पंप उपलब्ध कराने की घोषणा की है। दरअसल, सीएम किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय जैविक कृषि उत्पादन तथा मूल्य संवर्धन कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर एक जिला एक उत्पाद तथा विभिन्न विभागों और जैविक खेती के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
पांच लाख हेक्टेयर का रखा जैविक खेती का लक्ष्य
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आयोजन में कहा है कि कृषि रसायनों के असीमित प्रयोगों के कारण पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए, जैविक एवं प्राकृतिक कृषि तकनीकों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। प्रदेश में प्राकृतिक कृषि विकास योजना के अंतर्गत लगभग 1 लाख एकड़ क्षेत्रफल में जैविक खेती हो रही है। अब आने वाले वर्षों में जैविक- प्राकृतिक खेती को पांच लाख हेक्टेयर का लक्ष्य रखने की बात सीएम ने कही। सीएम ने कहा कि जैविक उत्पादों का बेहतर मूल्य दिलाने के लिए प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर जैविक हाट-बाजार लगाए जाएं। प्राकृतिक कृषि उत्पाद के लिए आदर्श जिले और विकासखंड विकसित किए जाएं। उन्होंने कहा कि जैविक खेती करने वाले किसानों को सोलर पम्प उपलब्ध कराए जाएंगे।
जैविक और प्राकृतिक खेती में संतुलन जरूरी
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विदेश यात्राओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पूरा विश्व प्रदूषण रहित, स्वास्थ्यकारी प्राक़ृतिक कृषि उत्पादों के लिए मध्यप्रदेश की ओर देख रहा है। पर्यावरण संरक्षण के लिए जैविक एवं प्राकृतिक खेती से संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। यह वर्ष यद्यपि उद्योग वर्ष घोषित किया गया है, किन्तु कृषि प्रधान राज्य मध्यप्रदेश में खेती को साथ लेकर नीतियां लागू करना आवश्यक है। इसलिए, राज्य सरकार कृषि आधारित उद्योगों को विकसित करने पर विशेष ध्यान दे रही है। जिन जिलों में औद्योगिक दर कम हैं, वहां कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना की जाएगी।
यह बोले कृषि मंत्री
कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि कार्यशाला के आधार पर प्रदेश के विभिन्न जिलों की कृषि जलवायु क्षेत्र के आधार पर जैविक उत्पादन नीति बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि जैविक खेती प्रोत्साहन के लिए प्रदेश में 9 सेवा प्रदाताओं से एमओयू किए गए हैं। एपीडा के अनुसार प्रदेश में जैविक खेती का रकबा 11.48 लाख हेक्टेयर है। वन क्षेत्र मिलाकर प्रदेश में कुल 20 लाख 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती की जा रही है जो देश में सर्वाधिक है। खेत में ही अवशेष प्रबंधन के लिए 42500 से अधिक कृषि यंत्र वितरित किए गए हैं।
ये रहे मौजूद
आयोजन में अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी अनुपम राजन, सचिव कृषि एम सेल्वेन्द्रन, संचालक कृषि अजय गुप्ता सहित अन्य मौजूद थे। इस दो दिवसीय कार्यशाला में जैविक एवं प्राकृतिक खेती से जुड़े विभिन्न विषयों पर गहन विचार मंथन किया जाएगा।