-विवेकानंद रॉक मेमोरियल में 45 घंटे की साधना के बाद बोले मोदी-यह साधना अविस्मरणीय
विवेकानंद रॉक मेमोरियल में 45 घंटे की ध्यान साधना के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह साधना अविस्मरणीय पलों में से एक है। साधना के दौरान अलौकिक और अद्भुत ऊर्जा अनुभव की। उन्होंने कहा कि मैं यह संकल्प फिर से दोहराता हूं कि मेरे जीवन का हर पल देश को समर्पित है। ध्यान के बाद करीब तीन बजे मोदी विवेकानंद मेमोरियल से बाहर निकले। इससे पहले उन्होंने विवेकानंद शिला के पास स्थित तमिल कवि तिरुवल्लूर की 133 फीट ऊंची प्रतिमा के दर्शन किए। गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद भी 22 सितंबर 2006 को स्मारक परिसर में लगभाग दो घंटे की ध्यान साधना की थी।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 30 मई की शाम को कन्याकुमारी पहुंचे थे। 31 मई को वे ध्यान में बैठे और 1 जून को साधना पूरी करके ममोरियल से बाहर निकले। तमिलनाडु कांग्रेस ने मोदी की ध्यान साधना के विरुद्ध मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
कांग्रेस कमेटी द्वारा दायर याचिका में उल्लेख किया गया था कि प्रधानमंत्री की विवेकानंद रॉक यात्रा को लेकर कोई आपत्ति नहीं कर सकता है लेकिन लोकसभा चुनाव-2024 के 7 वें फेज के मतदान से पहले उनकी यात्रा धार्मिक भावनाओं पर प्रभाव डाल सकती है।
हिंदू धार्मिक भावनाओं के जरिये यह वोट लेने की कोशिश है। हालांकि ध्यान यात्रा को लेकर चुनाव से संबंधित कानून में कोई रोक नहीं है। इससे पहले वर्ष 2019 में भी चुनाव आयोग प्रधानमंत्री को इसी तरह की अनुमति दे चुका है।
कांग्रेस की आपत्ति के साथ ही थंगथाई पेरियार द्रविड़ कडग़म नामक संगठन ने भी विरोध प्रदर्शन किया था। इस सबका मोदी के ध्यान पर कोई असर नहीं हुआ।
ध्यान से पहले इस तरह के दिए गए बयान
-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ध्यान साधना की खबर लगने के बाद विपक्ष ने खूब शब्दबाण चलाए हैं। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि पीएम अगर प्रायश्चित्त करने जा रहे हैं तो अच्छा है क्योंकि जिस इंसार को विवेक का अर्थ ही नहीं पता वह क्या ध्यान लगाएगा।
-बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर मोदी के ध्यान को टेलीविजन पर दिखाया गया तो उनकी पार्टी इलेक्शन कमीशन में शिकायत दर्ज कराएगी। उनका कहना था कि ध्यान टेलीकास्ट करने से आचार संहिता का उल्लंघन होगा।
-कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने दिल्ली स्थित चुनाव आयोग कार्यालय पहुंचकर अधिकारियों से मिलकर बात की थी। बाद में उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने आयोग से कहा है कि चुनाव प्रचार खत्म होने से मतदान शुरू होने तक 48 घंटे के साइलेंट पीरियड में किसी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रचार की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
-तमिननाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सेल्वापेरुन्थगई कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री को कन्याकुमारी में ध्यान लगाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। इस पर चुनाव आयोग एक्शन ले।
-विपक्ष के अन्य बड़े नेताओं ने भी विवेकानंद रॉक ममोरियल यात्रा और पीएम की ध्यान साधना को लेकर लगभग एक जैसे बयान जारी किए हैं।
पहले केदारनााथ और अब कन्याकुमारी
वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के आखिरी फेज से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केदारनाथ गए थे। केदारनाथ में उन्होंने रुद्र गुफा में 17 घंटे ध्यान साधना की थी। इस बार भी वे आखिरी फेज से ठीक पहले कन्याकुमारी पहुंचे और विवेकानंद रॉक मेमोरियल में 45 घंटे ध्यान साधना की।
समुद्र में स्थित है विवेकानंद रॉक मेमोरियल
-कन्याकुमारी के पास समुद्र में एक चट्टान पर विवेकानंद रॉक स्थित है। तट से करीब 500 मीटर भीतर मौजूद यह स्मारक दो चट्टानों पर बना है।
-2 सितंबर 1970 को देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. वीवी गिरि ने स्मारक का उद्घाटन किया था। यह उद्घाटन समारोह करीब 2 महीने तक चला था।
-उद्घाटन में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी भी शाामिल हुई थीं।
-उल्लेखनीय है कि विवेकानंद शिला पर स्मारक और मंदिर बनाने में राष्ट्रीय स्वयं संघ के सरकार्यवाह रहे एकनाथ रानाडे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
-चैत्र माह की पूर्णिमा पर यहां चंद्रमा और सूर्य दोनों एक साथ एक ही क्षितिज पर आमने सामने दिखाई देते हैं। इस नजारे को देखने के लिए हजारों लोग पहुंचते हैं।
-विवेकानंद रॉक मेमोरियल स्मारक का प्रवेश द्वार अजंता और एलोरा गुफा मंदिरों के समान हे। जबकि मंडपम कर्नाटक के बेल्लूर में स्थित श्री रामकृष्ण मंदिर के समान है।
-माना जाता है कि वर्ष 1893 में विश्व धर्म सभा में शामिल होने से पहले दिसंबर 1892 में स्वामी विवेकानंद कन्याकुमारी पहुंचे थे। उन्हें समुद्र के बीच यह शिला दिखी और फिर वे तैरकर शिला तक पहुंचे। शिला पर पहुंचने के बाद विवेकानंद ने ध्यान लगाया था। तीन दिन तक ध्यानमग्न रहने के बाद उन्हें दिव्य अनुभूति हुई थी।