पेरिस 2024 में भारत
एक रजत और पांच कांस्य सहित छह पदक के साथ 71वां स्थान
मनु भाकर स्वतंत्रत भारत में, एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी
21 वर्षीय पहलवान अमन सेहरावत सबसे युवा भारतीय ओलंपिक पदक विजेता
बीते साल भारत ने 26 जुलाई से 11 अगस्त 2024 तक पेरिस, फ्रांस में आयोजित 2024 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भाग लिया। भारतीय ओलंपिक संघ को 1927 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा मान्यता दी गई थी। हालाँकि, इस समय तक, राष्ट्र पेरिस कें 1900 ओलंपिक में अपने पहले ओलंपिक पदार्पण के साथ 1920 और 1924 के ओलंपिक खेलों में भाग ले चुका था। भारतीय एथलीट 1920 से ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों के हर संस्करण में दिखाई दिए हैं और खेलों के इस संस्करण ने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में राष्ट्र की 26वीं उपस्थिति को चिह्नित किया।
भारतीय दल में 110 एथलीट शामिल थे जिन्होंने 16 खेलों में भाग लिया। पी.वी. सिंधु और शरत कमल उद्घाटन समारोह के ध्वजवाहक थे। मनु भाकर और पी.आर. श्रीजेश ने समापन समारोह के दौरान भारतीय ध्वज को संभाला।
भारत ने एक रजत और पांच कांस्य सहित छह पदक जीते और ओलंपिक में भाग लेने वाले 206 एन.ओ.सी. में 71वें स्थान पर रहा। यह क्रमशः 2020 और 2012 के बाद भारत का तीसरा सर्वश्रेष्ठ पदक था। मनु भाकर ने निशानेबाजी में दो कांस्य पदक जीते और वे स्वतंत्रत भारत में, एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी बनीं। पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा ओलंपिक में स्वर्ण और रजत जीतने वाले पहले भारतीय व्यक्तिगत पदक विजेता बने। कांस्य पदक जीतने वाले पहलवान अमन सेहरावत ओलंपिक में पदक जीतने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय बने।
इस वर्ष के खेलों के लिए भारतीय दल में 117 एथलीट शामिल थे, 110 प्रतियोगी और 7 ऑल्टरनेट, इसके अलावा 118 सहायक कर्मचारी और 22 अधिकारी भी दल का हिस्सा थे। गगन नारंग को शेफ डे मिशन या मिशन के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था, जबकि शिव केशवन को उनका डिप्टी चुना गया था। पी.वी. सिंधु और शरत कमल पेरिस 2024 के उद्घाटन समारोह के ध्वजवाहक थे। इस संस्करण में दो पदक जीतने वाली निशानेबाज मनु भाकर और हॉकी टीम के गोलकीपर पी.आर. श्रीजेश समापन समारोह के ध्वजवाहक थे।
भारत ने एक रजत और पांच कांस्य सहित कुल छह पदक जीते, जिनमें से तीन निशानेबाजी से आए। यह पिछले खेलों के बाद भारत का संयुक्त दूसरा सबसे बड़ा कुल पदक था। मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में भारत के लिए पहला पदक जीता। वे इस कांस्य पदक के साथ भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला निशानेबाज बनीं। मिश्रित 10 मीटर एयर पिस्टल टीम स्पर्धा में, उन्होंने सरबजोत सिंह के साथ मिलकर एक और कांस्य पदक जीता, इस प्रकार वह स्वतंत्रता के बाद से एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गईं। इसके बाद स्वप्निल कुसाले ने पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन स्पर्धा में एक और कांस्य पदक जीता। यह ओलंपिक खेलों में अब तक भारत का सातवाँ निशानेबाजी पदक था।पुरुषों की फील्ड हॉकी टीम ने तीसरे स्थान के लिए हुए मैच में स्पेन को हराकर पुरुषों की स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। यह ओलंपिक में पुरुषों की हॉकी में देश का लगातार दूसरा कांस्य था। इसके बाद नीरज चोपड़ा ने पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में रजत पदक जीता। 2020 ओलंपिक में अपने स्वर्ण पदक के साथ, वह भारत के लिए पाँचवें व्यक्तिगत बहु पदक विजेता और स्वर्ण और रजत संयोजन जीतने वाले पहले व्यक्ति बन गए। अमन सेहरावत ने पुरुषों की फ़्रीस्टाइल 57 कि.ग्रा. कुश्ती स्पर्धा में भारत के लिए कांस्य पदक जीता। इसके साथ ही 21 वर्षीय सेहरावत सबसे कम उम्र के भारतीय ओलंपिक पदक विजेता बन गए।
इन सफलताओं के अतिरिक्त भी भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन बहुत उत्साहजनक रहा, तीरंदाजी में महिला तथा पुरुष दोनों ने टीम स्पर्धा में क्वार्टर फाइनल तक का सफर किया, वहीं एकल स्पर्धा में भी अपना लगातार चौथा ओलंपिक खेल रहीं दीपिका कुमारी भी क्वार्टर फाइनल तक पहुँची और एक बेहद कड़े मुकाबले में हार कर बाहर हुयीं। मिक्सड टीम इवेंट में अंकिता भगत और धीरज बोमदेवरा की जोड़ी सेमी फाइनल तक पहुँची और कांस्य पदक के लिए हुए मैच में हार कर चौथे स्थान पर रही।
बैडमिंटन में लक्ष्य सेन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सेमी फाइनल में जगह बनायी पर वहाँ उनका सामना दो बार के पूर्व विजेता विक्टर एक्सलसन से हुआ, मुकाबला बेहद कड़ा था, भारतीय खिलाड़ी के कई बार बढ़त बनायी पर अहम मौकों पर चूक गए और हार का सामना करना पड़ा। कांस्य पदक के लिए हुए मैच में भी यही कहानी रही और पहला सेट जीतने के बाद भी उन्हें हार कर चौथे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। युगल स्पर्धा में सात्विक-चिराग की स्टार जोड़ी भी क्वार्टर फाइनल में पहला सेट जीतने के बाद हार गयी।
निशानेबाजी में अभूतपूर्व सफलता और भी बेहतर हो सकती थी यदि अर्जुन बबुटा, मनु भाकर और महेश्वरी चौहान व अनंतजीत सिंह नरूका की जोड़ी भी अपनी-अपनी स्पर्धाओं में थोड़ा भाग्यशाली होते। बबुटा 10 मी. एयर राइफल में तथा मनु भाकर 25 मी. पिस्टल स्पर्धा में बुहत कम अंतर से पदक से चूक गए और चौथे स्थान पर रहे। वहीं चौहान व नरूका की जोड़ी मिक्सड स्कीट टीम इवेंट में केवल एक अंक से पदक से चूक गए। वहीं भारोतोलन में पिछली बार की रजत पदक विजेता साईखॉम मीराबाई चानू 199 कि.ग्रा. वजन के साथ चौथे स्थान पर रहीं। एक और कि.ग्रा. वजन उन्हें फिर से पदक दिलवा सकता था।
टेबल टेनिस के टीम इवेंट में भारतीय महिला दल क्वार्टर फाइनल तक और एकल स्पर्घा में मनिका बत्रा व श्रीजी अकुला राउंड ऑफ 16 तक पहुँचने में सफल रहीं। यह टेबल टेनिस में भारत का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन था। एथलेटिक्स में अविनाश साबले 3000 मी. स्टीपल चेस के फाइनल के लिए क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय बने तथा मुख्य स्पर्धा के पहले लैप में सबसे आगे रहने के बाद पिछड़ कर अंत में उन्होंने सम्मानजनक 11वाँ स्थान प्राप्त किया।
बॉक्सिंग में निशांत देव और नयी वेट केटेगरी में भाग ले रही टोक्यो 2020 की कांस्य पदक विजेता लवलीना बोर्गोहेन का सफर क्वार्टर फाइनल तक ही रहा। कुश्ती में भी निशा दाहिया और रितिका हूडा का सफर क्वार्टर फाइनल तक ही रहा। लेकिन इन खेलों की सबसे बड़ी कहानी रहीं विनेश फोगाट। घर पर कई समस्याओं से जूझने और प्रैक्टिस के अभाव में और नयी वेट केटेगरी में भाग लेने को मजबूर होकर खेलो तक पहुँची विनेश का सामना पहले ही राउंड में पिछले कई वर्षाें से अजेय रहीं पूर्व विजेता व प्रथम वरीयता प्राप्त जापान की युई सुसाकी से हुआ और अंत तक पिछड़ने के बाद अंतिम पलों में बाजी पलटते हुए विनेश ने सनसनीखेज जीत दर्ज कर तहलका मचा दिया। अगले दो राउंड जीत कर वे महिला कुश्ती के फाइनल में पहुँचने वाली पहली भारतीय बनीं। लेकिन फाइनल से पहले ही 50 ग्राम वजन अधिक पाये जाने के कारण उन्हें डिसक्वालिफाई कर दिया गया, उन्होंने अपील भी की किंतु लम्बी जद्दोजहत के बाद भी उनकी अयोग्यता बरकरार रही और देश एक संभावित स्वर्ण पदक से वंचित ही रहा।
कुल मिला कर ये ओलंपिक खेल भारत के लिए लगातार सफलता की ओर अग्रसर होने में एक और अहम पड़ाव रहा और यदि हमने दुर्भाग्यवश कुछ मौके न चूके होते तो भारत की झोली में सात और पदक आ सकते थे। याद रहे ये असफलायें नहीं हैं बल्कि भविष्य की सवर्णिम सफलताओं की ओर बढ़ रहे देश के मजबूत कदम हैं, जिनका परिणाम आने वाले वर्षों में निश्चित ही सामने आयेगा।
लेखक परिचय
नाम: डॉ. शालीन शर्मा
संप्रति: खेल पत्रकारिता के साथ करियर की शुरुआत करने के बाद शासकीय सेवा में गए। वर्तमान में सहायक संचालक के पद पर पदस्थ हैं। इसके साथ ही शौकिया तौर पर द ग्रिप न्यूज के लिए खेलों से संबंधित आलेख लिख रहे हैं।